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करवा चौथ का व्रत आज: जानें पूजा विधि और चंद्रमा दर्शन का समय

करवा चौथ का व्रत आज: जानें पूजा विधि और चंद्रमा दर्शन का समय

करवा चौथ 2025 का व्रत आज 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 से 7:11 बजे तक और चंद्रोदय का समय रात 8:10 बजे रहेगा। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर माता करवा, शिव-पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करेंगी। इस वर्ष सिद्धि और शिवावास योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं।

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का पावन व्रत आज 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। अखंड सौभाग्य की कामना के इस पर्व पर महिलाएं निर्जला उपवास रखकर शाम को करवा माता और चंद्रदेव की पूजा करती हैं। इस साल पूजा का मुहूर्त शाम 5:57 से 7:11 बजे तक और चांद निकलने का समय रात 8:10 बजे रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ सिद्धि और शिवावास योग जैसे शुभ संयोगों में पड़ रहा है, जिससे व्रत का फल और अधिक शुभकारी माना जा रहा है।

करवा चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त और व्रत समय

इस वर्ष करवा चौथ का व्रत आज 10 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:19 मिनट से शाम 08:13 मिनट तक रहेगा। व्रत की कुल अवधि लगभग 13 घंटे 54 मिनट की होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:57 मिनट से शाम 07:11 मिनट तक निर्धारित है। इस वर्ष विशेष शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जैसे सिद्धि योग और शिवावास योग, जो व्रत के फल को बढ़ाने वाले माने जाते हैं।

सरगी खाने का समय और परंपरा

करवा चौथ के दिन व्रत शुरू करने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सरगी ग्रहण करना शुभ माना जाता है। इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से 5:23 के बीच है। सरगी की परंपरा सास की ओर से दी जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव की लंबी आयु के लिए पहला करवा चौथ व्रत रखा था और तब उनकी सास ने उन्हें सरगी दी थी। इसके अलावा महाभारत काल में द्रौपदी ने अपने पांडवों पतियों की दीर्घायु और रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था और उनकी सास कुंती ने सरगी दी थी। इसलिए यह परंपरा सास की ओर से बहू को आशीर्वाद देने का प्रतीक बन गई।

करवा चौथ की पूजा सामग्री

करवा चौथ के दिन पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में करवा (मिट्टी, पीतल या तांबे का), करवा थाली, ढक्कन या कटोरी, करवा व्रत कथा की पुस्तक, छलनी, पांच या सात सींक, फूल, माला, कच्चा दूध, पान, कलश, चंदन, हल्दी, चावल, मिठाई, दही, घी, शहद, पिसी हुई चीनी, रोली, कुमकुम, मौली, अक्षत, आठ पूरियों की अठावरी, बिछिया या पायल, आटा की लोई, थोड़े चावल और घी का दीपक शामिल हैं। इसके अलावा अगरबत्ती या धूपबत्ती भी पूजा में रखी जाती है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय

इस वर्ष चंद्रमा का उदय शाम 08:10 बजे होगा। शहर के अनुसार यह समय थोड़ा आगे या पीछे हो सकता है। महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के समय चंद्रदेव के इन मंत्रों का जाप कर सकती हैं:

ॐ द्युतिलकाय नमः, ॐ द्विजराजाय नमः, ॐ ग्रहाधिपाय नमः, ॐ ग्रसितार्काय नमः, ॐ ग्रहमंडलमध्यस्थाय नमः, ॐ मेरुगोत्रप्रदक्षिणाय नमः, ॐ दांताय नमः, ॐ महेश्वरप्रियाय नमः, ॐ वसुसमृद्धिदाय नमः, ॐ विवस्वन्मंडलाग्नेयवासाय नमः, ॐ दिव्यवाहनाय नमः, ॐ चतुराय नमः, ॐ चतुरश्रासनारूढाय नमः, ॐ अव्ययाय नमः, ॐ कर्कटप्रभुवे नमः, ॐ करुणारससंपूर्णाय नमः, ॐ प्रियदायकाय नमः, ॐ अत्यंतविनयाय नमः, ॐ आत्रेयगोत्रजाय नमः, ॐ नयनाब्जसमुद्भवाय नमः, ॐ कुंदपुष्पोज्वलाकाराय नमः, ॐ धनुर्धराय नमः, ॐ दंडपाणये नमः, ॐ दशाश्वरथसंरूढाय नमः, ॐ श्वेतगंधानुलेपनाय नमः, ॐ श्वेतमाल्यांबरधराय नमः, ॐ सितभूषणाय नमः, ॐ सितांगाय नमः, ॐ सितच्छत्रध्वजोपेताय नमः, ॐ सनकादिमुनिस्तुताय नमः, ॐ सर्वज्ञाय नमः, ॐ सर्वागमज्ञाय नमः।

करवा चौथ की व्रत कथा और महत्व

करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए रखा जाता है। नवविवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उनके वैवाहिक जीवन की पहली बड़ी पूजा मानी जाती है। महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को सोलह श्रृंगार कर माता करवा की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। कुछ अविवाहित कन्याएं भी अपने भावी जीवनसाथी की मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं।

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