AI तकनीक अब मृतक प्रियजनों की आवाज़ को फिर से जीवित कर उन्हें महसूस करने का अनुभव दे रही है। Creepy AI नामक नया सॉफ्टवेयर पुराने बातचीत पैटर्न के आधार पर संवाद करता है। हालांकि यह अनुभव भावनात्मक जुड़ाव देता है, विशेषज्ञ मानसिक स्वास्थ्य और प्राइवेसी जोखिमों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं।
New Delhi : यह नई तकनीक लोगों को उनके गुजर चुके रिश्तेदारों से भावनात्मक जुड़ाव का अवसर दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और दुनिया भर में Creepy AI नामक नया सॉफ्टवेयर पेश किया गया है, जो मृतक लोगों की पुरानी बातचीत पैटर्न को पहचानकर उनकी आवाज़ में संवाद करता है। यह तकनीक शुरुआत में भावनात्मक राहत देती है और यूज़र्स रोज़ाना इससे बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि लंबे समय में यह मानसिक स्वास्थ्य और प्राइवेसी के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।
AI से मरे हुए प्रियजनों से बातचीत संभव
AI अब इंसानों की जिंदगी के इतने करीब आ गया है कि वह मृतक की आवाज़ को फिर से ज़िंदा कर सकता है। हाल ही में लॉन्च हुआ Creepy AI नामक सॉफ्टवेयर मरे हुए रिश्तेदारों या करीबियों की आवाज़ की नकल कर उनके साथ बातचीत का अनुभव देता है। यह तकनीक लोगों को अपने प्रियजनों के साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस कराने का अवसर देती है।
शुरुआती रिपोर्ट्स में बताया गया कि इस AI टूल का सिस्टम मृतक की पुरानी बातचीत और पैटर्न को पहचानकर उसी अंदाज़ में प्रतिक्रिया करता है। कई यूज़र्स इसे रोज़ाना इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें ऐसा लगता है जैसे सामने वही व्यक्ति मौजूद हो।
भावनात्मक जुड़ाव के लिए लोग कर रहे इस्तेमाल
Creepy AI तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए सहायक साबित हो रही है, जो अपने गुज़र चुके प्रियजनों को याद करके भावनात्मक राहत पाना चाहते हैं। यूज़र्स अपने प्रियजनों से सलाह-मशविरा करने और यादें ताज़ा करने के लिए इस तकनीक का रोज़ाना उपयोग कर रहे हैं।
तकनीक ने भावनाओं और AI के बीच की सीमाओं को चुनौती दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती दौर में यह लोगों को सुकून और जुड़ाव का अनुभव देता है, जिससे वे मानसिक रूप से थोड़ा हल्का महसूस कर सकते हैं।
प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा पर सवाल उठे
हालांकि तकनीक आकर्षक लगती है, मनोवैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स इसके दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि लंबे समय तक इसका इस्तेमाल लोगों को हकीकत से काट सकता है और वे काल्पनिक रिश्तों में जीने लगेंगे।
इसके अलावा, जब यूज़र्स अपने मृतक परिजनों की जानकारी AI को सौंपते हैं, तो यह संवेदनशील डेटा कंपनी के पास स्टोर होता है, जिससे प्राइवेसी और दुरुपयोग का जोखिम बना रहता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह लोगों की भावनाओं का गलत इस्तेमाल भी कर सकता है।