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CRPF जवान मुनीर अहमद की बर्खास्तगी पर खुलासा, अदालत में लड़ेंगे केस, जानें पूरी खबर

पाकिस्तानी महिला से शादी करने के बाद बर्खास्त हुए CRPF जवान मुनीर अहमद ने अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ मुख्यालय से अनुमति लेकर ही शादी की थी और अब वह इसे अदालत में चुनौती देंगे।

Jammu Kashmir: CRPF के जवान मुनीर अहमद, जिन्हें अपनी पाकिस्तानी पत्नी से शादी करने के बाद बर्खास्त किया गया था, उन्होंने अब अपनी चुप्पी तोड़ी है। मुनीर ने कहा कि उन्होंने यह शादी सीआरपीएफ मुख्यालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद की थी और उनका विश्वास है कि वह अदालत में इस फैसले को चुनौती देंगे। अहमद का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा।

कौन है मुनीर अहमद और क्यों बर्खास्त हुए?

मुनीर अहमद जम्मू के घरोटा इलाके के निवासी हैं और अप्रैल 2017 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें शादी की अनुमति मुख्यालय से मिली थी और उन्होंने एक पाकिस्तानी महिला मीनल खान से शादी की। अहमद के अनुसार, शादी से पहले उन्होंने मुख्यालय से जरूरी औपचारिकताएं पूरी की थीं, लेकिन इसके बावजूद उनकी बर्खास्तगी को लेकर सीआरपीएफ ने यह आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी शादी छिपाई थी और पाकिस्तान से आई महिला को जानबूझकर शरण दी थी, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कारण हो सकता था।

सीआरपीएफ मुख्यालय से मिली थी अनुमति

मुनीर अहमद ने स्पष्ट किया कि शादी से पहले उन्होंने 31 दिसंबर 2022 को अपनी शादी की इच्छा सीआरपीएफ मुख्यालय से साझा की थी। इसके बाद, उन्हें जरूरी दस्तावेजों के साथ अनुमति प्राप्त हुई। 30 अप्रैल 2024 को सीआरपीएफ मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद, उन्होंने 24 मई को ऑनलाइन शादी की थी। अहमद का कहना है कि उनके द्वारा किए गए सभी कदम नियमों के तहत थे, और उन्होंने सीआरपीएफ को भी सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शादी के दस्तावेज सौंपे थे।

पाकिस्तानी नागरिक की शादी से जुड़ी कूटनीतिक जटिलताएं

पाकिस्तानी महिला मीनल खान को फरवरी 2024 में भारत में वीजा मिला था, लेकिन 22 मार्च को उसका वीजा समाप्त हो गया। इस मामले को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव का माहौल भी था, खासकर पहलगाम हमले के बाद। अहमद ने कहा कि शादी के बाद उन्होंने मीनल के लिए दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन किया था और इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की थीं, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने मीनल के निर्वासन पर रोक लगा दी थी।

बर्खास्तगी के बाद मुनीर अहमद का बयान

मुनीर अहमद ने अपनी बर्खास्तगी पर दुख जताया और कहा कि उन्हें मीडिया से जानकारी मिली कि उन्हें सीआरपीएफ से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें बर्खास्तगी का कारण बताया गया।

अहमद ने बताया कि उन्हें 25 मार्च को सुंदरबनी में अपनी बटालियन में रिपोर्ट करने का आदेश मिला था, लेकिन 27 मार्च को उनका स्थानांतरण आदेश आ गया, और उन्हें 41वीं बटालियन में भेज दिया गया। वहां पहुँचने के बाद उन्हें तुरंत कार्यमुक्त कर दिया गया और इस तरह उनका सेवा से समापन हो गया।

अदालत से न्याय की उम्मीद

मुनीर अहमद ने अपनी बर्खास्तगी को लेकर कहा कि वह इसे अदालत में चुनौती देंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि कानून की अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी बर्खास्तगी रद्द हो जाएगी। अहमद का कहना है कि उन्होंने सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी की थीं और उन्हें विश्वास है कि अदालत से उनका पक्ष सही साबित होगा।

सीआरपीएफ की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

सीआरपीएफ द्वारा मुनीर अहमद की बर्खास्तगी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह कदम उनके व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है? क्या सीआरपीएफ को उनके विवाह के बारे में इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी? इन सवालों का जवाब अदालत और सरकार ही दे सकती है, लेकिन इस मुद्दे ने राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन को लेकर बहस को जन्म दिया है।

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