दिल्ली में न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए अब पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई भी विशेष अदालतों में होगी। LG वीके सक्सेना ने सीएम रेखा गुप्ता के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
Delhi: दिल्ली की न्याय व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव हुआ है। अब राजधानी में पूर्व सांसदों (Ex-MPs) और पूर्व विधायकों (Ex-MLAs) के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई भी विशेष अदालतों (Special Courts) में होगी। दिल्ली की उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया को और तेज, पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
दिल्ली में बढ़ा MP-MLA कोर्ट का दायरा
अब तक दिल्ली में केवल मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए तीन विशेष अदालतें गठित थीं। लेकिन अब इन अदालतों का दायरा बढ़ाते हुए पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों से जुड़े मामलों को भी इनके अंतर्गत लाया गया है।
यह बदलाव राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स (Rouse Avenue Court Complex) में लागू होगा, जहां पहले से ही तीन MP-MLA स्पेशल कोर्ट संचालित हैं। अब इन अदालतों को ज्यादा अधिकार और जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि पुराने और नए मामलों का जल्द निपटारा किया जा सके।
प्रस्ताव को LG ने दी मंजूरी
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
- प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य था- सांसदों और विधायकों से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाना और अदालतों की कार्यक्षमता बढ़ाना।
यह मंजूरी मिलने के बाद अब दिल्ली की न्याय व्यवस्था में “Accountability और Speedy Justice” दोनों को और मजबूती मिलेगी। इस कदम से लंबित मामलों का बोझ घटेगा और जनता के बीच न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास बढ़ेगा।
न्यायिक प्रक्रिया को मिलेगी गति
यह फैसला दिल्ली में न्यायिक सुधारों (Judicial Reforms) की दिशा में एक मील का पत्थर (Milestone) साबित हो सकता है। अब इन अदालतों के तहत न केवल वर्तमान सांसद और विधायक बल्कि उनके कार्यकाल के दौरान दर्ज मामलों की सुनवाई भी होगी।
तीन विशेष अदालतें करेंगी सुनवाई
वर्तमान में दिल्ली में तीन विशेष अदालतें (Special Courts) सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई कर रही हैं —
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (PC Act) (CBI)-09, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (PC Act) (CBI)-23, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स
- कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (PC Act) (CBI)-24, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स
अब इन अदालतों को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं ताकि वे Ex-MPs और Ex-MLAs से जुड़े मामलों की भी सुनवाई कर सकें। इससे पुराने मामलों की फाइलें दोबारा जांच के लिए खुलेंगी और लंबित केसों का निपटारा तेजी से होगा।
न्यायिक सुधारों में रेखा गुप्ता की पहल
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से यह प्रस्ताव महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग ने तैयार किया था। प्रस्ताव को CPCR Act, 2005 की धारा 25 और POCSO Act, 2012 की धारा 28 के अंतर्गत विधि विभाग द्वारा विधिसम्मत माना गया।
रेखा गुप्ता ने कहा कि “दिल्ली की न्याय प्रणाली को प्रभावी और पारदर्शी बनाना हमारी प्राथमिकता है। न्याय में देरी, न्याय से वंचना के बराबर है। इसलिए सरकार न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए हर कदम उठा रही है।”
पहले भी हुई थी अदालतों की स्थापना
जुलाई 2023 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए तीन विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी। यह कदम दिल्ली उच्च न्यायालय के 2020 के निर्देशों के अनुरूप था।
हालांकि, उस समय की सरकार ने इसे अधिसूचित करने में तीन साल से अधिक का विलंब किया था। अब नए प्रस्ताव की मंजूरी से यह अधूरा कार्य पूरा हो गया है और दिल्ली की न्यायिक प्रणाली में तेजी आने की उम्मीद है।
बच्चों से जुड़े मामलों के लिए पहले से हैं 8 विशेष अदालतें
दिल्ली में पहले से ही आठ विशेष अदालतें (Special POCSO Courts) काम कर रही हैं, जो बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और यौन अपराधों (Child Rights & POCSO Cases) की सुनवाई के लिए अधिसूचित हैं।
POCSO Act की धारा 28(1) के तहत राज्य सरकार, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद, प्रत्येक जिले में विशेष अदालत नामित कर सकती है ताकि बच्चों से जुड़े अपराधों का शीघ्र निपटारा किया जा सके।
वहीं, CPCR Act की धारा 25 के तहत, बाल अधिकारों से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय की सहमति से विशेष अदालतों को “बाल अदालत” घोषित कर सकती है।