दिल्ली के जंगपुरा में मद्रासी कैंप को ध्वस्त किए जाने से 370 तमिल परिवार बेघर हो गए। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने दिल्ली सरकार से तत्काल पुनर्वास और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपील की।
Delhi News: 1 जून 2025 को दिल्ली के जंगपुरा क्षेत्र में स्थित मद्रासी कैंप पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के तहत बुलडोजर चलाया गया। इस कार्रवाई में लगभग 370 तमिल मूल के परिवारों के घर उजड़ गए, जो कई दशकों से इसी क्षेत्र में रह रहे थे। यह अभियान दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर बारापुला नाले के किनारे अवैध निर्माण हटाने के उद्देश्य से चलाया गया था।
एमके स्टालिन की तीखी प्रतिक्रिया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस विध्वंस के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक औपचारिक पत्र लिखा। उन्होंने इसे एक "गंभीर मानवीय संकट" करार देते हुए चिंता जताई कि ऐसे सैकड़ों परिवार, जिन्होंने दिल्ली की अर्थव्यवस्था और समाज में वर्षों से योगदान दिया है, अब अचानक बेघर हो गए हैं।
189 परिवारों को मिला पुनर्वास, 181 अब भी बेघर
हाई कोर्ट के आदेशानुसार, किए गए संयुक्त सर्वेक्षण में पाया गया कि कुल 370 में से 189 परिवार पुनर्वास के योग्य हैं। इन्हें दिल्ली के नरेला इलाके में EWS फ्लैट आवंटित किए गए हैं। हालांकि, शेष 181 परिवारों को फिलहाल कोई वैकल्पिक आवास नहीं दिया गया है। ये परिवार बेघर हो चुके हैं और उनके लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई है।
नरेला में अधूरी सुविधाएं, रहना मुश्किल
स्टालिन ने अपने पत्र में चिंता जताई कि नरेला के जी-7 और जी-8 पॉकेट्स में जहां इन परिवारों को पुनर्वासित किया गया है, वहां मूलभूत सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, जल निकासी, आंतरिक सड़कें, स्ट्रीट लाइटिंग और सफाई पूरी तरह अनुपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इन हालात में उन परिवारों के लिए नए फ्लैटों में रहना बेहद मुश्किल है।
हाई कोर्ट के निर्देश और ज़िम्मेदारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियां – जैसे DDA और DUSIB – इन पुनर्वासित क्षेत्रों में सभी आवश्यक सेवाएं समय रहते उपलब्ध कराएं। साथ ही, विस्थापित बच्चों को आस-पास के सरकारी और MCD स्कूलों में तुरंत दाखिला दिलाया जाए, स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएं और उचित मूल्य की दुकानें स्थापित की जाएं। इसके अलावा 2016 की नीति के अनुसार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था जैसे DTC और मेट्रो कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित करने के आदेश थे।
दिल्ली सरकार से तत्काल राहत की अपील
स्टालिन ने पत्र में आग्रह किया कि दिल्ली सरकार इन प्रभावित परिवारों की दुर्दशा को समझे और मानवीय आधार पर जल्द से जल्द उचित आवास, बुनियादी सुविधाएं और बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करे। उन्होंने यह भी कहा कि तमिल समुदाय वर्षों से दिल्ली का हिस्सा रहा है और उन्होंने श्रमिक, घरेलू सहायक, सफाईकर्मी, रसोइये व अन्य कार्यों के जरिए इस शहर को अपनी सेवाएं दी हैं।
अतिक्रमण हटाने का कारण
अधिकारियों के अनुसार, यह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बारापुला नाले के किनारे अतिक्रमण के चलते बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटने के लिए की गई थी। बताया गया कि भारी बारिश के दौरान संकरे नाले में जल प्रवाह बाधित होता है जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव हो जाता है। इसी कारण अदालत ने कार्रवाई के आदेश दिए थे।
मानवाधिकारों और पुनर्वास नीति पर सवाल
हालांकि, इस कार्रवाई ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अतिक्रमण हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? विशेषज्ञों का कहना है कि पुनर्वास की नीति और न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए ही ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे न केवल प्रशासनिक आदेश पूरे हों, बल्कि नागरिक अधिकारों का भी हनन न हो।