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दिल्ली में यमुना बाढ़ से विस्थापित परिवार बेहाल, राहत शिविरों में भोजन व बीमारियों का संकट गहराया

दिल्ली में यमुना बाढ़ से विस्थापित परिवार बेहाल, राहत शिविरों में भोजन व बीमारियों का संकट गहराया

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ प्रभावित परिवार राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। फसल बर्बाद, घर डूबा और स्वास्थ्य समस्याओं के बीच लोग कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद विस्थापित परिवार राहत शिविरों में रह रहे हैं, जहां उन्हें बीमारियों, मच्छरों और सीमित भोजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई परिवारों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है और घर पानी में डूबा हुआ है। छह महीने के बच्चों वाली माताओं सहित लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। कुछ परिवार कर्ज़ में डूब चुके हैं और भविष्य की चिंता कर रहे हैं। राहत शिविरों में खाना, बर्तन और चारपाइयों की व्यवस्था की गई है।

भोजन और स्वास्थ्य की परेशानियाँ

राहत शिविरों में पहुंचने वाले खाद्य सामग्री के ट्रक के हॉर्न बजते ही बच्चे और महिलाएं भोजन लेने के लिए कतार में लग जाती हैं। यमुना खादर निवासी शांति ने कहा,

'हमें रात में मच्छरों के कारण बहुत परेशानी होती है। यहाँ जो खाना मिलता है, उसमें ज़्यादातर चावल ही होता है। जिन्हें बुखार है, वे सिर्फ चावल कैसे खा पाएंगे?'

इसका मतलब है कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को पोषण और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

बाढ़ से राम किशन की फसले बर्बाद

खेती करने वाले राम किशन ने बताया कि बाढ़ के कारण उनकी पूरी फसल पानी में डूब गई। इससे परिवार की आजीविका संकट में है। राम किशन ने कहा, ‘‘हमारे पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचा। इस साल की पूरी फसल बर्बाद हो गई है और पूरा परिवार उसी पर निर्भर था।’’

बाढ़ की स्थिति ने खेती और रोजगार पर प्रतिकूल असर डाला है। लोगों के घर, खेत और सामान बह गए हैं। राहत शिविरों में यह संकट हर किसी की जिंदगी पर गहरा असर डाल रहा है।

मां और छोटे बच्चों की मुश्किलें

मयूर विहार फेज-1 के शिविर में छह महीने के बच्चे की मां पूनम ने बताया कि खुले आसमान के नीचे छोटे बच्चे के साथ रहना बहुत मुश्किल है। न तो कोई निजता है, न ही आराम। वह लगातार बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहती हैं।

राहत शिविरों में सड़क के किनारे बर्तन, गद्दे और लकड़ी की चारपाईयां रखी हैं। कुछ बच्चे पास में खेल रहे हैं, जबकि बुज़ुर्ग समूहों में बैठकर अपने नुकसान के बारे में बातें कर रहे हैं।

बाढ़ में राजेश का घर और सामान बर्बाद

यमुना खादर निवासी राजेश ने बताया कि बाढ़ ने उनके घर और सामान को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। ‘‘मैंने पिछले साल मरम्मत के लिए पैसे उधार लिए थे, और अब सब कुछ फिर से बह गया। मुझे नहीं पता कि मैं कर्ज़ कैसे चुकाऊंगा,’’ उन्होंने कहा।

हालांकि, दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर शुक्रवार सुबह आठ बजे घटकर 207.31 मीटर हो गया, जबकि एक दिन पहले यह 207.48 मीटर पर था। प्रशासन राहत कार्यों और परिवारों की मदद में लगातार जुटा हुआ है।

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