एअर इंडिया फ्लाइट 171 हादसे की कॉकपिट रिकॉर्डिंग को लेकर अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट को विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने खारिज किया। जांच अधूरी है, निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।
Air India AAIB Report: अहमदाबाद में हुई एअर इंडिया फ्लाइट 171 की दुर्घटना को लेकर एक अमेरिकी अखबार ने दावा किया कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग में सीनियर पायलट ने इंजन का ईंधन बंद कर दिया था। इस खबर को भारत की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने गलत और गैर-जिम्मेदाराना बताया है। एएआईबी का कहना है कि जांच प्रक्रिया अभी जारी है और किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।
मीडिया रिपोर्ट में पायलट पर गंभीर आरोप
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया कि हादसे के समय कैप्टन ने इंजन का फ्यूल बंद कर दिया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फर्स्ट ऑफिसर स्थिति को लेकर घबराया हुआ था और कैप्टन ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। यह खबर गुरुवार को प्रकाशित हुई थी।
AAIB की प्रतिक्रिया: जांच अभी जारी
एएआईबी ने इस रिपोर्ट को आधारहीन और भ्रामक बताया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में सिर्फ यह बताया गया था कि कॉकपिट में एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या उसने फ्यूल स्विच बंद किया है। दूसरे पायलट ने इससे इनकार किया था। एजेंसी ने दोहराया कि यह सूचना केवल हादसे की जानकारी देने के उद्देश्य से साझा की गई थी, न कि वजह बताने के लिए।
रिपोर्टिंग में संवेदनशीलता की जरूरत
एएआईबी ने बिना किसी मीडिया संस्थान का नाम लिए ऐसी रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह की अपुष्ट और आंशिक जानकारी पर आधारित रिपोर्टें प्रभावित परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि हादसे के असली कारण का पता अंतिम जांच रिपोर्ट से ही चलेगा।
कॉकपिट रिकॉर्डिंग क्यों नहीं जारी की गई?
जब एएआईबी के डायरेक्टर जनरल जीवीजी युगंधर से पूछा गया कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग का ट्रांसक्रिप्ट सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ICAO (अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन) के नियम 5.12 के तहत ऐसी रिकॉर्डिंग केवल जांच के लिए होती है। उन्होंने बताया कि अंतिम रिपोर्ट में जरूरत के अनुसार जानकारी शामिल की जाएगी।
ICAO के नियम क्या कहते हैं?
आईसीएओ के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि नियम 5.12 के अनुसार कॉकपिट रिकॉर्डिंग जैसी संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। यह सिर्फ जांच एजेंसियों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है। हालांकि यदि किसी देश को लगे कि सुरक्षा के हित में जानकारी जरूरी है, तो वह विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है।
एएआईबी ने कहा कि हादसे की जांच समय लेगी और इसमें किसी निश्चित समयसीमा का उल्लेख नहीं किया जा सकता। इस बीच, मीडिया और जनता को बिना पुष्टि के आई खबरों से बचना चाहिए। एजेंसी का मानना है कि ऐसी रिपोर्टिंग से न केवल जांच प्रभावित होती है, बल्कि जनता के बीच भ्रम भी पैदा होता है।