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गंभीर की कोचिंग पर सवाल: हरभजन बोले- टेस्ट और लिमिटेड ओवर्स के लिए अलग कोच जरूरी

गंभीर की कोचिंग पर सवाल: हरभजन बोले- टेस्ट और लिमिटेड ओवर्स के लिए अलग कोच जरूरी

ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 के लिए टीम घोषित की, मिचेल ओवेन को डेब्यू का मौका मिला। मैथ्यू शॉर्ट बाहर हुए, टिम डेविड को आराम दिया गया। कप्तान मिचेल मार्श नई चुनौती के लिए तैयार हैं।

Harbhajan Singh: भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों इंग्लैंड दौरे पर है, जहां पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ चल रही है। इस सीरीज़ में टीम इंडिया फिलहाल 1-2 से पीछे चल रही है। टीम के हालिया टेस्ट प्रदर्शन को लेकर आलोचनाओं का दौर जारी है, और इस बार निशाने पर हैं टीम के हेड कोच गौतम गंभीर। भारत के पूर्व दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने गंभीर की टेस्ट कोचिंग को लेकर खुलकर सवाल उठाए हैं और एक बड़ा सुझाव भी दिया है—टेस्ट और सीमित ओवरों के लिए अलग-अलग कोच रखने की ज़रूरत।

टेस्ट क्रिकेट में गंभीर का फ्लॉप शो

2024 के T20 वर्ल्ड कप के बाद जब गौतम गंभीर को भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच नियुक्त किया गया, तो शुरुआत शानदार रही। भारत ने उनकी कोचिंग में कई टी20 और वनडे सीरीज़ जीतीं, यहां तक कि चैंपियंस ट्रॉफी भी उनके मार्गदर्शन में टीम ने अपने नाम की। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड लगातार सवालों के घेरे में रहा है। गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम ने अब तक 13 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से केवल 4 में जीत मिली है, जबकि 8 मैचों में हार का सामना करना पड़ा और एक मुकाबला ड्रॉ रहा। खासकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से 1-3 की हार और न्यूजीलैंड से घरेलू मैदान पर क्लीन स्वीप झेलना गंभीर की रणनीति और तैयारी पर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।

हरभजन सिंह की सीधी टिप्पणी

पूर्व दिग्गज ऑफ-स्पिनर हरभजन सिंह ने इंडिया टुडे से बातचीत में गंभीर की टेस्ट कोचिंग पर सवाल उठाए और सुझाव दिया कि भारतीय क्रिकेट में लाल गेंद (टेस्ट) और सफेद गेंद (वनडे और टी20) के लिए अलग-अलग कोच होने चाहिए। हरभजन का मानना है कि जब खिलाड़ी और टीमें फॉर्मेट के अनुसार बदलती हैं, तो कोचिंग रणनीति भी अलग होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, 'अगर अलग-अलग फॉर्मेट के लिए अलग कोच रखे जाएं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इससे कोचों के काम का बोझ भी कम होगा और तैयारी के लिए उन्हें पर्याप्त समय भी मिलेगा।' हरभजन ने यह भी जोड़ा कि लंबे दौरों और सीरीज़ के दौरान एक ही कोच पर अत्यधिक दबाव रहता है, और उसे भी अपने परिवार के साथ समय चाहिए होता है।

क्या है अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चलन?

हरभजन का यह सुझाव कोई नया नहीं है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमें पहले ही टेस्ट और लिमिटेड ओवर्स के लिए अलग-अलग कोच नियुक्त कर चुकी हैं। इससे कोच न केवल खिलाड़ियों को बेहतर समझ पाते हैं, बल्कि हर फॉर्मेट के लिए अलग रणनीति और प्लानिंग कर सकते हैं। भारत में अब तक हेड कोच का रोल एक ही व्यक्ति निभाता रहा है, जो तीनों फॉर्मेट्स में टीम के साथ रहता है। लेकिन मौजूदा क्रिकेट शेड्यूल को देखते हुए यह जिम्मेदारी अब अत्यधिक बोझिल होती जा रही है।

गंभीर का अब तक का रिपोर्ट कार्ड

गौतम गंभीर के कोचिंग कार्यकाल पर एक नज़र डालें तो सीमित ओवरों में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है:

  • T20I में: 13 में से 11 मुकाबले जीते, सिर्फ 2 हारे।
  • वनडे में: 11 में से 8 जीत, 2 हार और 1 टाई।
  • टेस्ट में: 13 में से केवल 4 जीत, 8 हार, 1 ड्रॉ।

सीमित ओवरों में गंभीर का रिकॉर्ड काबिल-ए-तारीफ रहा है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका संघर्ष साफ दिखाई दे रहा है।

क्या BCCI लेगा बड़ा फैसला?

हरभजन सिंह जैसे पूर्व खिलाड़ी की यह सार्वजनिक राय BCCI को सोचने पर मजबूर कर सकती है। अगर टेस्ट और लिमिटेड ओवर्स के लिए अलग-अलग कोचों की प्रणाली भारत में लागू होती है, तो यह पहली बार होगा जब एक से अधिक मुख्य कोच टीम इंडिया के लिए नियुक्त किए जाएंगे। गंभीर का अनुभव और रणनीति T20 और वनडे में भले ही कारगर रही हो, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में संयम, लंबी रणनीति और गहराई से योजना बनाना बेहद आवश्यक होता है—जो अब तक देखने को नहीं मिला।

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