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हनुमानजी स्तुति: बल, भक्ति और समर्पण के प्रतीक श्री हनुमान की आराधना से पाएं दिव्य शक्ति

हनुमानजी स्तुति: बल, भक्ति और समर्पण के प्रतीक श्री हनुमान की आराधना से पाएं दिव्य शक्ति
अंतिम अपडेट: 23-09-2024

हनुमानजी स्तुति

जय बजरंगी जय हनुमाना,

रुद्र रूप जय जय बलवाना,

पवनसुत जय राम दुलारे,

संकट मोचन सिय मातु के प्यारे॥

 

जय वज्रकाय जय राम केरू दासा,

हृदय करतु सियाराम निवासा,

न जानहु नाथ तोहे कस गोहराई,

राम भक्त तोहे राम दुहाई॥

 

विनती सुनहु लाज रखहु हमारी,

काज कौन जो तुम पर भारी,

अष्टसिद्धि नवनिधि केरू भूपा,

बखानहु कस विशाल अति रूपा॥

 

धर्म रक्षक जय भक्त हितकारी,

सुन लीजे अब अरज हमारी,

भूत प्रेत हरहु नाथ बाधा,

सन्तापहि अब लाघहु साधा॥

मान मोर अब हाथ तुम्हारे,

करहु कृपा अंजनी के प्यारे,

बन्दतु सौरभ दास सुनहु पुकारी,

मंगल करहु हे मंगलकारी॥

 

यह स्तुति हनुमानजी की महिमा और उनकी भक्तों के प्रति कृपा को प्रकट करती है। बजरंग बली संकटमोचन हैं, जो अपने भक्तों के संकट हरते हैं और उन्हें शक्ति और साहस प्रदान करते हैं। जय हनुमान!

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