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HDFC मर्जर से पहले की गई गुप्त ट्रेडिंग, जानिए किसे लगा ₹10 लाख का जुर्माना

HDFC मर्जर से पहले की गई गुप्त ट्रेडिंग, जानिए किसे लगा ₹10 लाख का जुर्माना

शेयर बाजार में नियमों को ताक पर रखकर पैसा बनाने की एक और कहानी सामने आई है। इस बार मामला जुड़ा है HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक के मर्जर से। देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इस केस में एक हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए ₹10 लाख का जुर्माना ठोका है। आरोप है कि यह HUF, जिसकी पहचान 'रुपेश सतीश दलाल HUF' के रूप में हुई है, ने HDFC के मर्जर से जुड़ी गोपनीय जानकारी के आधार पर बड़े पैमाने पर कॉल ऑप्शन खरीदे और फिर मुनाफा कमा लिया।

सेबी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

सेबी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, 'रुपेश सतीश दलाल HUF' ने 1 अप्रैल 2022 को HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक के शेयरों से जुड़े कई कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदे थे। ये ट्रेडिंग एक सामान्य निवेश की तरह नहीं बल्कि खास योजना और जानकारी के आधार पर की गई थी।

केस की जांच में सामने आया कि उस वक्त फर्म के पास इस मर्जर से जुड़ी अंदरूनी जानकारी थी, जो बाजार में सार्वजनिक नहीं की गई थी। इस जानकारी का फायदा उठाकर उसने कुछ ही दिन बाद यानी 4 अप्रैल 2022 को सभी कॉल ऑप्शन बेच दिए और मोटा मुनाफा कमा लिया।

बेटे के जरिए मिली अंदरूनी जानकारी

सेबी की जांच में एक और अहम कड़ी सामने आई। इस इनसाइडर ट्रेडिंग की जानकारी ‘रुपेश सतीश दलाल’ को उसके बेटे के जरिए मिली थी। बेटे का संपर्क एक ऐसे व्यक्ति से था जो डेलॉयट से जुड़ा हुआ था। डेलॉयट इस मर्जर प्रक्रिया में एक प्रोफेशनल कंसल्टिंग एजेंसी के तौर पर शामिल था और उसके कुछ अधिकारी मर्जर की गोपनीय जानकारी से वाकिफ थे।

जांच में साफ हुआ कि बेटे को जो जानकारी मिली थी, वह प्रकाशित नहीं की गई थी और बाजार के अन्य निवेशकों के लिए उपलब्ध नहीं थी। यानी यह पूरी तरह से इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला बनता है।

मुनाफा कमाने के लिए रची गई रणनीति

सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, HDFC मर्जर की खबर जैसे ही सार्वजनिक हुई, वैसे ही ‘रुपेश सतीश दलाल HUF’ ने अपनी सारी पोजीशन बेच दीं। यह पूरा ऑपरेशन इतनी सफाई से किया गया कि सामान्य निवेशक इसे समझ नहीं पाते, लेकिन सेबी की कड़ी निगरानी से यह मामला नहीं बच सका।

सेबी ने जांच में पाया कि ट्रेडिंग के समय बाजार में मर्जर की कोई भी सार्वजनिक घोषणा नहीं हुई थी। ऐसे में यह पूरी प्रक्रिया इनसाइडर ट्रेडिंग की श्रेणी में आती है।

सेबी ने ₹10 लाख का जुर्माना लगाया

सेबी ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए ‘रुपेश सतीश दलाल HUF’ पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा उन्हें इनसाइडर ट्रेडिंग से संबंधित नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है।

सेबी के अनुसार, ऐसे मामलों से बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता को नुकसान पहुंचता है और छोटे निवेशकों का भरोसा भी डगमगाता है। इसलिए ऐसी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखना जरूरी हो जाता है।

एल्गो ट्रेडिंग की डेडलाइन दो महीने बढ़ाई

सेबी ने मंगलवार को एक और अहम फैसला लिया। छोटे निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग में भाग लेने में आसानी हो, इसके लिए बनाए गए नए फ्रेमवर्क की डेडलाइन को दो महीने बढ़ाकर अब अक्टूबर 2025 तक कर दिया गया है।

एल्गो ट्रेडिंग एक ऑटोमैटिक सिस्टम होता है, जिसमें पहले से तय किए गए प्रोग्राम के जरिए ऑर्डर निष्पादित होते हैं। इससे रियल टाइम में तेज और अनुशासित ट्रेडिंग संभव हो पाती है। छोटे निवेशकों के लिए इसे अपनाना फिलहाल थोड़ा जटिल था, जिसे आसान बनाने की कोशिश की जा रही है।

SIF निवेश पर भी रखी जाएगी नजर

सेबी ने मंगलवार को स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स (SIF) से जुड़े निवेशों की निगरानी के लिए भी एक नया मैकेनिज्म लागू किया है।

इसके तहत देखा जाएगा कि SIF में निवेश करने वाले निवेशक निर्धारित न्यूनतम सीमा यानी 10 लाख रुपये की शर्त को पूरा कर रहे हैं या नहीं।

सेबी ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई निवेशक इस न्यूनतम निवेश सीमा का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

सेबी की लगातार सख्ती

बीते कुछ महीनों में सेबी इनसाइडर ट्रेडिंग, फ्रंट रनिंग और अन्य बाजार गड़बड़ियों को लेकर लगातार सख्त रवैया अपना रहा है। इससे पहले भी कई व्यक्तिगत निवेशकों, ब्रोकिंग फर्मों और संस्थानों पर लाखों और करोड़ों रुपये के जुर्माने लगाए जा चुके हैं।

सेबी का उद्देश्य है कि शेयर बाजार में पारदर्शिता बनी रहे और सभी निवेशकों को समान अवसर मिल सके। इसलिए मुनाफा कमाने के लिए गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करने वालों पर निगरानी बढ़ाई जा रही है।

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