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इला भट्ट: SEWA की संस्थापक, महिलाओं की शक्ति और सादगी की मिसाल

इला भट्ट: SEWA की संस्थापक, महिलाओं की शक्ति और सादगी की मिसाल

भारत के सामाजिक इतिहास में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका नाम सुनते ही समाजसेवा, नारी सशक्तिकरण और मानवता की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है। इला भट्ट उन्हीं महान हस्तियों में से एक थीं, जिन्होंने ना केवल भारत की असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को संगठित किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मसम्मानी जीवन जीने की प्रेरणा भी दी। उनका जीवन एक आदर्श गांधीवादी कार्यकर्ता का उदाहरण है, जो अपने विचारों पर अडिग रहीं और जिनके काम ने लाखों महिलाओं की ज़िंदगी में बदलाव लाया।

प्रारंभिक जीवन: जड़ों से जुड़ी साधना

7 सितंबर 1933 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्मीं इला भट्ट के परिवार में शिक्षा और सामाजिक चेतना की मजबूत नींव थी। उनके पिता सुमंतराय भट्ट एक प्रतिष्ठित वकील थे, जबकि उनकी मां वनलीला व्यास महिला आंदोलन में सक्रिय थीं। ऐसे परिवेश में पली-बढ़ी इला ने बहुत कम उम्र में ही समझ लिया था कि समाज को बेहतर बनाने के लिए कर्म और संवेदना की जरूरत है। इला ने सूरत के एमटीबी कॉलेज से अंग्रेज़ी में स्नातक की पढ़ाई की और फिर अहमदाबाद के एलए शाह लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। वे कानून की पढ़ाई में इतनी कुशल थीं कि उन्हें हिंदू लॉ पर उनके काम के लिए स्वर्ण पदक भी मिला।

शुरुआत: एक शिक्षक से आंदोलनकारी बनने का सफर

अपने करियर की शुरुआत उन्होंने मुंबई के एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी पढ़ाने से की, लेकिन उनका मन महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने में अधिक लगा। इसी उद्देश्य से उन्होंने 1955 में अहमदाबाद के टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन (TLA) के साथ काम करना शुरू किया। यहीं से इला भट्ट का समाजसेवा और महिलाओं के लिए संघर्ष का असली सफर शुरू हुआ। वे जानती थीं कि लाखों महिलाएं ऐसी हैं जो घरों में काम करती हैं, सिर पर बोझ ढोती हैं, सड़क किनारे सामान बेचती हैं – लेकिन उन्हें मज़दूर तक नहीं माना जाता।

सेवा की स्थापना: क्रांति की नींव

1972 में इला भट्ट ने ‘स्व-नियोजित महिला संघ (SEWA)’ की स्थापना की। यह संगठन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को संगठित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल थी। इला जानती थीं कि ये महिलाएं न तो किसी यूनियन का हिस्सा थीं और न ही सरकार की सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आती थीं। SEWA का उद्देश्य था – महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उन्हें कानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करना, उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा और बीमा जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलवाना। 1972 से 1996 तक इला भट्ट सेवा की महासचिव रहीं और उन्होंने इस संगठन को भारत ही नहीं, विश्व स्तर पर एक मिसाल बना दिया।

वैश्विक पहचान: द एल्डर्स और अंतरराष्ट्रीय मंच

इला भट्ट का योगदान केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। 2007 में जब नेल्सन मंडेला ने दुनिया के कुछ बुद्धिजीवियों को एकजुट कर ‘द एल्डर्स’ नामक वैश्विक समूह बनाया, तो इला भट्ट को उसमें शामिल किया गया। इस समूह का उद्देश्य था – दुनिया के सबसे जटिल मुद्दों को हल करने के लिए मार्गदर्शन देना। उन्होंने महिला अधिकार, बाल विवाह, शिक्षा और अहिंसा जैसे विषयों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़ को मजबूती से रखा। उन्होंने हमेशा कहा, 'अहिंसा की राह सबसे कठिन होती है, लेकिन यही सच्चा साहस है।'

पुरस्कार और सम्मान: दुनिया ने सराहा

इला भट्ट को भारत और विश्व भर में असंख्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख हैं:

  • पद्म श्री (1985)
  • पद्म भूषण (1986)
  • रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1977)
  • राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड (1984)
  • इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार (2011)
  • रेडक्लिफ मेडल (2011)
  • ग्लोबल फेयरनेस इनिशिएटिव अवॉर्ड (2010)

व्यक्तिगत जीवन: सादगी, सेवा और संकल्प

इला भट्ट का व्यक्तिगत जीवन बेहद सरल, सादगी भरा और प्रेरणा से भरा हुआ था। उन्होंने 1956 में रमेश भट्ट से विवाह किया और उनके दो बच्चे हुए। अपने पूरे जीवन में उन्होंने कभी दिखावे की जिंदगी नहीं जी, बल्कि हमेशा शांतिपूर्ण, सेवा भाव और ईमानदारी से काम करती रहीं। वे गांधीजी के विचारों जैसे अहिंसा, सच्चाई और स्वावलंबन को न सिर्फ मानती थीं, बल्कि उन्हें अपने जीवन में पूरी तरह उतार भी चुकी थीं। उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए मिसाल है जो समाज में बदलाव लाना चाहता है।

विदाई: लेकिन विचार अमर हैं

2 नवंबर 2022 को इला भट्ट ने इस संसार को अलविदा कहा। लेकिन वे आज भी सेवा, संघर्ष और सशक्तिकरण की प्रतीक बनी हुई हैं। उनकी सोच और संगठन आज भी लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखा रहे हैं। इला भट्ट का जीवन समाजसेवा, सशक्तिकरण और सादगी की मिसाल है। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज को नई दिशा दी। उनके विचार और कार्य आज भी हमें प्रेरणा देते हैं कि बदलाव लाना हो तो आत्मविश्वास और सेवा भाव सबसे जरूरी है। इला भट्ट जैसे महान व्यक्तित्व को हमेशा याद किया जाएगा।

इला भट्ट का जीवन समाज के सबसे कमजोर वर्ग—महिलाओं—के उत्थान को समर्पित रहा। उन्होंने सेवा, सादगी और साहस के साथ जो आंदोलन खड़ा किया, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनकी सोच, संगठन और योगदान सदियों तक याद रखे जाएंगे और आने वाली पीढ़ियों को सशक्त बनने का मार्ग दिखाते रहेंगे।

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