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UP में तस्करों का शिकंजा: CM PSO की बेटी समेत अकेली लड़कियों पर बढ़ा खतरा

UP में तस्करों का शिकंजा: CM PSO की बेटी समेत अकेली लड़कियों पर बढ़ा खतरा

लखनऊ के कृष्णानगर में मानव तस्करी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिसने राज्य में हड़कंप मचा दिया है। यह गिरोह बीते 12 सालों से लड़कियों को शादी और अनैतिक कार्यों के लिए बेचने का घिनौना धंधा कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों—मध्य प्रदेश के शहडोल निवासी संतोष साहू और राजस्थान के साकेतनगर निवासी मनीष भंडारी को गिरफ्तार किया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस रैकेट का खुलासा तब हुआ जब मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात एक पीएसओ की 16 वर्षीय बेटी अचानक लापता हो गई।

सीएम सुरक्षा में तैनात पीएसओ की बेटी के गायब होने से खुली परतें

यह मामला उस समय सामने आया जब 28 जून को लखनऊ के कृष्णानगर इलाके से एक किशोरी लापता हो गई। किशोरी मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात एक पीएसओ की बेटी थी। घर से निकलते वक्त किशोरी ने अपने पिता को एक वॉइस मैसेज भेजा, जिसमें उसने कहा, पापा, मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना, मैं भगवान के पास जा रही हूं। वह जाते समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्तियां भी अपने साथ ले गई थी। दो दिन बाद, 30 जून को परिजनों ने कृष्णानगर थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की जांच में सामने आया कि किशोरी मथुरा के एक संत से मिलने की इच्छा रखती थी और इसी भावना का फायदा आरोपी संतोष साहू ने उठाया।

संतोष ने किशोरी को चारबाग स्टेशन पर बुलाया और मथुरा ले जाने के बहाने कानपुर और फिर प्रयागराज स्थित अपने घर ले गया। वहां उसने किशोरी को मनीष भंडारी को 50 हजार रुपये में बेच दिया। लेकिन जब किशोरी ने रोना शुरू किया और विरोध जताया तो मनीष डर गया और उसे वापस कर दिया। इसके बदले उसने 45 हजार रुपये संतोष को लौटा दिए।

12 साल से बेच रहा था लड़कियां

पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए छह टीमें गठित की और 8 जुलाई को किशोरी को सकुशल बरामद कर लिया गया। पूछताछ में किशोरी ने जो खुलासा किया, उसने पुलिस को भी हैरान कर दिया। इसके बाद पुलिस ने संतोष और मनीष को गिरफ्तार किया। पूछताछ में संतोष के पास से रायबरेली की एक अन्य नाबालिग लड़की भी मिली, जिसे रेस्क्यू कर परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया जारी है।

डीसीपी दक्षिण निपुण अग्रवाल के अनुसार, आरोपी अकेली और असहाय किशोरियों को स्टेशन और बस अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर निशाना बनाते थे। संतोष इतना शातिर था कि पुलिस की हल्की भनक लगते ही वह मोबाइल नंबर और लोकेशन बदल लेता था। उसने पूछताछ में माना कि वह अब तक 15 से ज्यादा लड़कियों को 50 हजार से लेकर 2.75 लाख रुपये तक में बेच चुका है।

पांच राज्यों में फैला था तस्करी का नेटवर्क

पुलिस जांच में सामने आया कि इस गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान तक फैला हुआ है। सबसे ज्यादा लड़कियां राजस्थान में बेची गईं। हाल ही में एक किशोरी को सीकर में 2.75 लाख रुपये में बेचा गया था। गिरोह का टारगेट वह लोग थे जो शादी के लिए लड़की खरीदना चाहते थे और इसके लिए बड़ी रकम देने को तैयार रहते थे।

संतोष पर लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, छत्तीसगढ़ और प्रतापगढ़ में छह एफआईआर दर्ज हैं। मनीष पर भी दो केस दर्ज हैं। संतोष केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ा है, जबकि मनीष ने आठवीं तक की पढ़ाई की है। मनीष ट्रैवल्स में गाड़ी चलाने का काम करता था और इसी की आड़ में इस अवैध धंधे को अंजाम देता था। दोनों पहले भी छत्तीसगढ़ की जेल में रह चुके हैं। पुलिस ने बताया कि संतोष पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था।

फिलहाल पुलिस इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और कई राज्यों में दबिश दी जा रही है। इस खुलासे के बाद प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों और परिवारों में चिंता बढ़ गई है, खासतौर पर उन लड़कियों के लिए जो अकेले सफर करती हैं या असहाय स्थिति में होती हैं।

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