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इंदौर: 2011 PCPNDT उल्लंघन मामले में दो डॉक्टर दोषी, जिला कोर्ट ने सुनाई सजा

इंदौर: 2011 PCPNDT उल्लंघन मामले में दो डॉक्टर दोषी, जिला कोर्ट ने सुनाई सजा

इंदौर जिला कोर्ट ने 14 साल पुराने PCPNDT उल्लंघन मामले में दो डॉक्टरों को दोषी ठहराते हुए एक-एक साल का कारावास और 6-6 हजार रुपए जुर्माना सुनाया। यह मामला आइडियल मेडिकल सेंटर के फॉर्म-F गड़बड़ी से जुड़ा था।

इंदौर: जिला अदालत ने 14 साल पुराने प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक (PCPNDT) उल्लंघन मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने दो वरिष्ठ डॉक्टरों को एक-एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए प्रत्येक पर 6-6 हजार रुपए जुर्माना लगाया। यह मामला सोनोग्राफी फॉर्म-F में आवश्यक हस्ताक्षर न होने के कारण गंभीर उल्लंघन के रूप में दर्ज किया गया था।

इंदौर में 2011 सोनोग्राफी मामले का खुलासा

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में 2011 में एक सोनोग्राफी जांच के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आया था। अखबारों में प्रकाशित खबर में बताया गया कि गर्भवती महिला ने जांच में गड़बड़ी के बाद खुदकुशी कर ली। इसके बाद तत्कालीन प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश दिया। 7 जून 2011 को डीएसपी मुख्यालय की रिपोर्ट के आधार पर आइडियल मेडिकल सेंटर का निरीक्षण किया गया।

जांच में सामने आया कि कई फॉर्म-F पर न तो गर्भवती महिला के हस्ताक्षर थे और न ही डॉक्टरों के। एंटीनेटल केयर रजिस्टर भी सही तरीके से मेंटेन नहीं किया गया था। इन गड़बड़ियों को PCPNDT एक्ट का उल्लंघन माना गया, जो भ्रूण लिंग निर्धारण और असुरक्षित प्रथाओं को रोकने के लिए बनाया गया है।

दो डॉक्टरों को PCPNDT उल्लंघन का दोषी ठहराया

कोर्ट ने डॉ. राजू प्रेमचंदानी (62) और डॉ. अजय मोदी (63) को दोषी ठहराया। दोनों डॉक्टर स्नेहनगर स्थित आइडियल मेडिकल सेंटर के संचालक थे। जांच में यह भी सामने आया कि डॉ. अजय मोदी ने फॉर्म-F सही तरीके से नहीं भरा और सेंटर ने एएनसी रजिस्टर में भी गड़बड़ी बरती। कोर्ट ने इसे PCPNDT एक्ट का गंभीर उल्लंघन माना और दोनों डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की।

अदालत ने प्रत्येक डॉक्टर को एक-एक साल के सश्रम कारावास और 6-6 हजार रुपए के जुर्माने के साथ तीन-तीन महीने की अतिरिक्त सजा भी सुनाई। इस सजा का उद्देश्य डॉक्टरों और चिकित्सा संस्थानों को कानूनी पालन के प्रति गंभीरता दिखाने के लिए एक संदेश देना है।

कोर्ट ने PCPNDT उल्लंघन को गंभीर अपराध बताया

जिला कोर्ट की सुनवाई में लंबे समय तक सभी पहलुओं की जांच की गई। प्रिन्‍सी अग्रवाल की अदालत ने पाया कि दोनों डॉक्टरों ने जानबूझकर PCPNDT एक्ट का उल्लंघन किया। कोर्ट ने कहा कि फॉर्म-F में गर्भवती महिला और डॉक्टरों के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं, और इसका उल्लंघन कानून की दृष्टि से गंभीर अपराध है।

शासन की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आकृती गुप्ता ने पैरवी करते हुए कोर्ट को साक्ष्य उपलब्ध कराए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी लापरवाही भविष्य में रोकने के लिए यह सजा अन्य चिकित्सकों के लिए चेतावनी स्वरूप है।

फैसले ने चिकित्सा संस्थाओं को चेतावनी दी

इस मामले में सुनवाई और फैसले ने चिकित्सा संस्थानों को कानूनी नियमों का पालन करने की चेतावनी दी है। PCPNDT एक्ट के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई से डॉक्टरों और सेंटर संचालकों में जिम्मेदारी बढ़ेगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि फॉर्म-F और एंटीनेटल रजिस्टर के सही रिकॉर्ड से न केवल कानून का पालन सुनिश्चित होता है, बल्कि गर्भवती महिलाओं के अधिकारों की रक्षा भी होती है। इस फैसले से स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को भी भविष्य में नियमों के पालन पर कड़ी नजर रखने का मौका मिलेगा।

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