इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025 को पितृ पक्ष में मनाई जाएगी। इस दिन व्रत और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष और तृप्ति मिलती है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, इंदिरा एकादशी पर दान, तर्पण और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और व्रती को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
Indira Ekadashi 2025: इस वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाने वाली इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में विशेष महत्व रखती है। नेपाल और भारत समेत हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह दिन पितरों की तृप्ति और मोक्ष का अवसर है। इस दिन व्रत, श्राद्ध, दान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्रती के जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक लाभ बढ़ते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इसे कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्यकारी बताया गया है।
इंदिरा एकादशी पर श्राद्ध का महत्व
पुराणों के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत और उसी दिन श्राद्ध करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। इसे कन्यादान या हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्यकारी माना गया है। पद्म पुराण में यह वर्णित है कि इस एकादशी पर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पितर तृप्त होते हैं। ऐसा करने से पितरों को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा बैकुंठ धाम को प्राप्त होती है।
यमलोक की यातनाओं से मुक्ति
गुरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है और उसकी मृत्यु उसी तिथि पर होती है, उसकी आत्मा को यमलोक की यातनाओं का सामना नहीं करना पड़ता। पितृ पक्ष में एकादशी तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध का यही महत्व है। इस दिन किए गए व्रत और श्राद्ध से पितरों की आत्मा को बल मिलता है और उनके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं। कथा अनुसार, इस एकादशी के प्रभाव से राजा इन्द्रसेन ने ईहलोक में सुख भोगा और अंततः स्वर्गलोक को प्राप्त हुए, जबकि उनके पिताजी को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई।
इंदिरा एकादशी पर दान और पूजा
इस दिन घी, दूध, दही और अन्न का दान करना धार्मिक ग्रंथों में विशेष रूप से उल्लेखित है। जरूरतमंदों को भोजन कराना और तर्पण-पिंडदान करना पितरों को संतुष्ट करता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है, धन लाभ होता है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। इस प्रकार, इंदिरा एकादशी न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और भौतिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
इंदिरा एकादशी का यह अवसर भक्तों को पितृ तृप्ति, मोक्ष और अपने परिवार के लिए पुण्य लाभ का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। श्रद्धालुओं के लिए यह समय व्रत, दान और पूजा के माध्यम से आध्यात्मिक साधना को और मजबूत करने का अवसर है।