E20 पेट्रोल पर्यावरण और गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है, लेकिन इससे वाहनों की माइलेज 6% तक घट सकती है। नीति आयोग और ARAI की रिपोर्ट में इसका असर बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने E20 फ्यूल के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया और नीति को जारी रखने का निर्देश दिया।
Niti Aayog report: भारत में प्रदूषण कम करने और ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने के लिए केंद्र सरकार E20 पेट्रोल को बढ़ावा दे रही है। हालाँकि, वाहन मालिकों ने बताया कि इससे कारों की माइलेज 6% तक घट सकती है। नीति आयोग और ARAI की रिपोर्ट भी इसका संकेत देती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने E20 के खिलाफ जनहित याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि फ्यूल नीति जारी रहेगी और गन्ना किसानों को इससे फायदा मिलेगा।
वाहन मालिकों के अनुभव
दिल्ली के ऑटोमोबाइल इंजीनियर सुरेंद्र पाल सिंह ने बताया कि उनकी कार, जो तीन साल से कम पुरानी है, पहले दिल्ली की सड़कों पर औसतन 17-17.5 किमी/लीटर देती थी। E20 फ्यूल के इस्तेमाल के बाद यह धीरे-धीरे घटकर 16.5 किमी/लीटर और अब सिर्फ 14.5 किमी/लीटर रह गई है। उन्होंने बताया कि प्रीमियम पेट्रोल के इस्तेमाल से माइलेज में कुछ सुधार जरूर दिखा, लेकिन खर्च काफी बढ़ गया।
सोशल मीडिया पर भी कई वाहन मालिक सवाल उठा रहे हैं कि जब गाड़ी की रनिंग घट रही है तो उन्हें महंगा फ्यूल क्यों खरीदना चाहिए।
नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट "Roadmap for Ethanol Blending in India 2020-25" में कहा गया था कि E20 जैसे उच्च मिश्रण वाले फ्यूल की कीमत सामान्य पेट्रोल से कम रखी जानी चाहिए। इसका उद्देश्य यह है कि फ्यूल की कम कैलोरी वैल्यू से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि E20 के इस्तेमाल से चार पहिया वाहनों की माइलेज में 6 से 7 प्रतिशत तक और दोपहिया वाहनों में 3 से 4 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। हालांकि, अगर इंजन को E20 के अनुसार डिजाइन और ट्यून किया जाए तो यह नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि E20 फ्यूल से गन्ना किसानों को सीधे लाभ होता है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ने दावा किया कि अप्रैल 2023 से पहले बनी कई गाड़ियां E20 फ्यूल का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं। उन्होंने यह भी कहा कि बीएस-6 मानक वाली दो साल पुरानी गाड़ियां भी 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं हैं।
केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अदालत में कहा कि यह याचिका गंभीर नहीं है और इसे महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि E20 फ्यूल से गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ रही है और नीति जारी रहेगी।
E20 के फायदे
सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों के अनुसार, E20 फ्यूल के कई फायदे हैं। यह पेट्रोल पर आयात निर्भरता को घटाता है और विदेशी मुद्रा बचाता है। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि इथेनॉल से उत्सर्जन कम होता है। गन्ना किसानों को इस पहल से आर्थिक लाभ मिलता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
वाहन मालिकों के लिए चुनौतियां
हालांकि, वाहन मालिकों के लिए E20 फ्यूल कुछ चुनौतियां लेकर आता है। मुख्य समस्या है माइलेज में गिरावट। यदि इंजन को विशेष रूप से E20 के अनुसार तैयार न किया गया हो तो माइलेज में 6 प्रतिशत तक की कमी देखी जा सकती है। इसके अलावा, वाहन की रनिंग और इंजन की परफॉर्मेंस भी प्रभावित हो सकती है।