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जैश-ए-मोहम्मद की नई साजिश! अब महिलाओं की भर्ती से बदल रहा आतंकी खेल

जैश-ए-मोहम्मद की नई साजिश! अब महिलाओं की भर्ती से बदल रहा आतंकी खेल

जैश-ए-मोहम्मद ने ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान के बाद अब महिलाओं की भर्ती शुरू की है। मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर महिला शाखा ‘जमात-उल-मोमिनात’ की कमान संभाल रही हैं। सुरक्षा एजेंसियां इसे नई चुनौती मान रही हैं।

Pakistan: भारत के खिलाफ आतंकी हमले की साजिश रचने वाला संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह है इसकी नई रणनीति, जिसके तहत अब यह संगठन महिलाओं की भर्ती शुरू करने जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान हुए बड़े नुकसान के बाद जैश ने खुद को दोबारा खड़ा करने के लिए यह कदम उठाया है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक नई चुनौती साबित हो सकती है।

महिलाओं की पहली शाखा जमात-उल-मोमिनात का गठन

जैश-ए-मोहम्मद ने हाल ही में अपनी पहली महिला शाखा ‘जमात-उल-मोमिनात’ (Jamaat-ul-Mominaat) के गठन की घोषणा की है। अब तक यह आतंकी संगठन महिलाओं को किसी भी सशस्त्र अभियान में शामिल नहीं करता था, लेकिन अब इस नीति में बदलाव किया गया है। माना जा रहा है कि यह निर्णय मसूद अजहर (Masood Azhar) की सीधी देखरेख में लिया गया है, ताकि संगठन की कमजोर होती जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सके।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद रणनीति में बड़ा बदलाव

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के बहावलपुर (Bahawalpur) में जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया था। इस हमले में संगठन को भारी नुकसान हुआ था। कई वरिष्ठ आतंकी मारे गए और मसूद अजहर की आतंकी मशीनरी कमजोर पड़ गई। इस झटके के बाद अब मसूद अजहर ने नई रणनीति के तहत महिलाओं को संगठन में शामिल करने का फैसला किया है।

सादिया अजहर के हाथों में महिला विंग की कमान

सूत्रों के अनुसार, महिलाओं की इस नई शाखा का नेतृत्व मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर (Sadia Azhar) करेंगी। सादिया का पति यूसुफ अजहर (Yusuf Azhar) ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गया था। अपने पति की मौत के बाद सादिया संगठन में सक्रिय हो गई हैं और अब महिलाओं को वैचारिक और सशस्त्र प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सादिया बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली (Markaz Usman-o-Ali) से इस अभियान को आगे बढ़ा रही हैं।

गरीब महिलाओं को बनाया जा रहा निशाना

जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं की भर्ती के लिए पाकिस्तान के गरीब तबके को चुना है। बहावलपुर, कराची (Karachi), मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad), कोटली (Kotli), हरिपुर (Haripur) और मनसेहरा (Mansehra) जैसे इलाकों में संगठन ने अपने नेटवर्क सक्रिय कर दिए हैं। यहां मदरसों और धार्मिक संस्थानों में पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को ‘जिहाद’ के नाम पर संगठन में शामिल किया जा रहा है। इन्हें ‘इस्लाम की रक्षा’ और ‘बलिदान’ के नाम पर उकसाया जा रहा है।

दूसरे आतंकी संगठनों से प्रेरणा ले रहा जैश

जैश-ए-मोहम्मद का यह कदम पूरी तरह नया नहीं है। इससे पहले आईएसआईएस (ISIS), बोको हराम (Boko Haram), हमास (Hamas) और लिट्टे (LTTE) जैसे आतंकी संगठन भी महिलाओं को सशस्त्र अभियानों में शामिल कर चुके हैं। ये संगठन महिलाओं को आत्मघाती हमलों (Suicide Attacks), जासूसी (Espionage) और प्रचार अभियानों (Propaganda Operations) के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं।

जैश और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) जैसे संगठन अब तक इस नीति से दूर रहे थे, लेकिन अब पहली बार जैश ने महिलाओं की भर्ती का रास्ता खोल दिया है। इसका उद्देश्य न सिर्फ संगठन की खोई हुई शक्ति वापस पाना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी (International Surveillance) से बचने की कोशिश भी है।

भारत के खिलाफ नई आतंकी साजिश की तैयारी

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि जैश-ए-मोहम्मद महिलाओं की भर्ती के जरिए भारत के खिलाफ नई साजिश रच रहा है। महिलाएं आमतौर पर सुरक्षा जांच (Security Check) से आसानी से गुजर जाती हैं, जिससे आतंकी संगठन उन्हें जासूसी और हथियारों की सप्लाई में इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारत पर जैश के हमलों का लंबा इतिहास

जैश-ए-मोहम्मद भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों (Terror Attacks) के लिए जिम्मेदार रहा है। 2001 में संसद हमला (Parliament Attack), 2016 में पठानकोट एयरबेस (Pathankot Airbase Attack) और 2019 का पुलवामा हमला (Pulwama Attack) इसी संगठन से जुड़े हैं।

इन हमलों में सैकड़ों निर्दोष नागरिक और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक (Balakot Airstrike) के जरिए पाकिस्तान में जैश के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी।

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