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झाँसी किला: इतिहास, स्थापत्य और वीरता की अनमोल धरोहर

झाँसी किला: इतिहास, स्थापत्य और वीरता की अनमोल धरोहर

झाँसी किला और नगर केवल ऐतिहासिक और स्थापत्य धरोहर नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और वीरता की जीवंत गाथा हैं। इसके महल, द्वार, खिड़कियाँ और सुरक्षा संरचनाएँ मराठा कला, साहस और संस्कृति की अमूल्य धरोहर को आज भी प्रदर्शित करती हैं।

Jhansi Fort: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का प्रमुख शहर, केवल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहाँ का किला और नगर अपने ऐतिहासिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी आकर्षण का केंद्र है। झाँसी किला और नगर न केवल भव्य संरचनाओं और दृढ़ सुरक्षा के लिए जाना जाता है, बल्कि यह मराठा शासन, बुंदेलों और अंग्रेजों के समय की वीर गाथाओं का भी प्रतीक है।

झाँसी किले का निर्माण और ऐतिहासिक महत्व

झाँसी किला, जिसे 1613 ईस्वी में ओरछा के बुंदेल राजा बीरसिंह जुदेव ने बनवाया था, बुंदेलखंड क्षेत्र की रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर है। किले पर 25 वर्षों तक बुंदेलों का शासन रहा, उसके बाद यह क्रमशः मुगलों, मराठों और अंग्रेजों के अधीन रहा।

मराठा शासक नारुशंकर ने 1729-30 में किले का विस्तार कर इसे और मजबूत बनाया, जिससे यह शंकरगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी किले ने अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1938 में इस किले को केन्द्रीय संरक्षण में लिया गया और भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आज भी यह संरक्षित है। किले में कुल 22 बुर्ज और दो तरफ़ रक्षा खाई हैं। नगर की दीवारों में 10 मुख्य द्वार और 6 खिड़कियाँ हैं, जो इसकी सामरिक मजबूती को दर्शाती हैं।

किले के भीतर बारादरी, पंचमहल, शंकरगढ़ और रानी के नियमित पूजा स्थल मौजूद हैं, जो मराठा स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण माने जाते हैं। यहाँ कूदान स्थल और कड़क बिजली तोप भी हैं, जिन्हें राजा गंगाधर के समय प्रयोग किया जाता था।

झाँसी नगर के 10 प्रमुख द्वार

झाँसी नगर के प्राचीन संरचना में 10 प्रमुख द्वार हैं, जो सुरक्षा और नगर नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

  1. ओरछा गेट – यह द्वार सुल्तान मस्जिद के पास स्थित है और मध्य प्रदेश के ओरछा जिले के नाम पर रखा गया। 1858 में ह्यू रोज की सेना के झाँसी पर हमले के समय राव दुल्हाजू की कथित विश्वासघात की गाथा से जुड़ा है।
  2. लक्ष्मी गेट – लक्ष्मी तालाब, श्री महालक्ष्मी मंदिर और महाराज गंगाधरराव की समाधि के पास स्थित। महारानी लक्ष्मीबाई गरीबों में वस्त्र और भोजन वितरित करती थीं।
  3. भांडेरी गेट – काली माता और हनुमान मंदिर के पास। 4 अप्रैल 1858 को महारानी लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र के साथ इस द्वार से कालपी गईं।
  4. दतिया गेट – गुलाम गौस खान पार्क के पास। नाम मध्य प्रदेश के दतिया जिले से लिया गया।
  5. बडागांव गेट (झरना गेट) – बारी मस्जिद और महाकाली मंदिर के पास।
  6. उन्नाव गेट – उन्नाव मस्जिद और ठाकुर बाबा मंदिर के पास। नाम उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले पर आधारित।
  7. खंडेराव गेट – झाँसी किला, इंद्रापुरी नगर और पंचकुईया मंदिर के पास।
  8. सैंयर गेट – मिनर्वा मार्ग और झोकनबाग के पास। 8 जून 1857 को यहाँ 60 अंग्रेज अफसरों और उनके परिवार की हत्या हुई।
  9. चाँद गेट – राजा रघुनाथराव महल के पास। ईद के अवसर पर महारानी लछ्छोबाई यहाँ चाँद का दीदार करती थीं।
  10. सागर गेट – हनुमान मंदिर और सागर खिड़की मस्जिद के पास। यहाँ विख्यात डाकू सागर सिंह का आतंक था, जिसे महारानी लक्ष्मीबाई ने हराया।

झाँसी नगर की खिड़कियाँ और उनकी ऐतिहासिक गाथाएँ

  1. भैरव खिड़की – नगर के परकोटे में स्थित।
  2. सुजनखान खिड़की – सुजनखान झाँसी की सेना में सैनिक थे और 1857 के संग्राम में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी।
  3. सागर खिड़की – सागर द्वार के पास। पुरानी मस्जिद और सागर सिंह से जुड़ी।
  4. बिल्लयां खिड़की – परकोटे में स्थित।
  5. गणपतगिरी खिड़की – गोसाईं समाज के गणपत गोसाईं के नाम पर।
  6. अलिगोल खिड़की – झोकनबाग के पास।

ये खिड़कियाँ न केवल सुरक्षा के लिए बनाई गई थीं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं और युद्धों की साक्षी भी हैं।

महाराजा रघुनाथराव महल और लछ्छोबाई की कहानी

रघुनाथराव महल झोकनबाग के पास स्थित है, जिसे 18वीं सदी में रघुनाथराव ने अपनी प्रेमिका लछ्छोबाई के लिए बनवाया था। इस महल में हाथीखाना, कई भव्य कक्ष और सुरक्षा दीवारें थीं।

राजा रघुनाथराव और लछ्छोबाई की प्रेम कहानी झाँसी की ऐतिहासिक धरोहर में शामिल है। लछ्छोबाई को आफताब बानो बेगम के नाम से सम्मानित किया गया। महल में रानी लक्ष्मीबाई के शासनकाल में घोडेस्वार सेना और मुस्लिम पठान सेना तैनात रहती थी।

महल की सुरक्षा और स्थापत्य कला का उदाहरण यह है कि 1857-58 के युध्द में इसका अधिकांश हिस्सा बचा हुआ था। महल का स्थापत्य और इसकी भव्यता आज भी पर्यटकों और इतिहासकारों को आकर्षित करती है।

झाँसी किला और नगर का पर्यटन महत्व

आज झाँसी किला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इसे देखने के लिए पर्यटकों को अनुमति लेनी होती है। किला और नगर के ऐतिहासिक द्वार, खिड़कियाँ, महल, बारादरी और भव्य सुरक्षा संरचनाएँ इसकी स्थापत्य उत्कृष्टता और सामरिक महत्व को दर्शाती हैं।

झाँसी किले की सैर केवल ऐतिहासिक दृष्टि से नहीं, बल्कि भारतीय वीरता, स्वतंत्रता संग्राम और मराठा स्थापत्य कला का अनुभव करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

झाँसी किला और नगर केवल ऐतिहासिक और स्थापत्य धरोहर नहीं, बल्कि भारतीय वीरता और स्वतंत्रता संग्राम की जीवंत गाथा हैं। इसके भव्य महल, सुरक्षा संरचनाएँ, द्वार और खिड़कियाँ इतिहास की अनकही कहानियों का प्रतीक हैं। आज यह स्थल न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि मराठा कला, साहस और संस्कृति की अमूल्य धरोहर को संरक्षित रखने का उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

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