झारखंड शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अदालत ने आदेश दिया है कि शराब घोटाले में जब्त किए गए आईफोन और अन्य दस्तावेज अब ईडी की कस्टडी में ही रहेंगे।
Jharkhand Liquor Scam: झारखंड में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले में अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंट्री हो गई है। इस घोटाले की तह में जाने के लिए ईडी की कार्रवाई के बाद अब सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी गई है। घोटाले में राज्य की नई उत्पाद नीति, सरकारी अधिकारियों की भूमिका और एक कथित सिंडिकेट के जरिए अवैध लाभ उठाने का मामला सामने आया है। इसी बीच, नई दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय की न्याय निर्णय प्राधिकरण (Adjudicating Authority) ने ईडी को इस मामले में जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और दस्तावेजों को अपने कब्जे में रखने की अनुमति भी दे दी है।
ईडी की छापेमारी में अहम सुराग
ईडी ने 29 अक्टूबर 2024 को झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई अधिकारियों के आवास और ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान प्रिज्म कंपनी के नकली होलोग्राम के नमूने, झारखंड की नई उत्पाद नीति से जुड़े कागजात, दो आईफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए थे। इस जब्ती को कानूनी वैधता देने के लिए ईडी ने न्याय निर्णय प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
घोटाले की जड़ में झारखंड की वह नई उत्पाद नीति है, जिसे 31 मार्च 2022 से लागू किया गया था। आरोप है कि इस नीति को लागू करने से पहले जनवरी 2022 में झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच रायपुर में गुप्त बैठक हुई थी। इस बैठक में नीति के प्रारूप में संशोधन और छत्तीसगढ़ की एजेंसियों को झारखंड में शराब आपूर्ति की अनुमति देने की योजना बनाई गई।
दो साल तक छत्तीसगढ़ की एजेंसियों का दबदबा
नीति लागू होने के बाद लगभग दो वर्षों तक छत्तीसगढ़ की एजेंसियां झारखंड की शराब आपूर्ति प्रणाली में सक्रिय रहीं। आरोप है कि इस दौरान नकली होलोग्राम का उपयोग कर देशी शराब की भारी मात्रा में बिक्री की गई और विदेशी शराब की आपूर्ति में गड़बड़ी की गई। इसके जरिए न सिर्फ सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, बल्कि शराब व्यापार में एक खास सिंडिकेट को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
इस मामले की शुरुआत छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज प्राथमिकी से हुई थी। यह प्राथमिकी रांची के निवासी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी। विकास सिंह ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन उद्योग सचिव अनिल टुटेजा, मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर निवासी अनवर ढेबर और अन्य लोगों ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर उत्पाद नीति में बदलाव कर घोटाला किया।
ईडी ने इसी प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। अब इस केस की तह तक जाने के लिए सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
सीबीआई को सौंपा जाएगा मामला
रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सीबीआई को इस मामले की जांच की अनुशंसा की थी। संबंधित दस्तावेज और प्रमाण सीबीआई मुख्यालय को भेज दिए गए हैं। अब तक मिले संकेतों के अनुसार, सीबीआई इस मामले की स्वतंत्र जांच शुरू करेगी और इसमें शामिल अधिकारियों, कंपनियों और एजेंसियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई संभव है।