राजस्थान सरकार ने जयपुर और कोटा के नगर निगमों का परिसीमन कर एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। राज्य सरकार ने जयपुर में ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम को एकीकृत कर दिया है। इसी तरह, कोटा में भी पहले से मौजूद दो नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया गया है।
जयपुर: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जयपुर शहर में दो नगर निगम बनाए गए थे, लेकिन अब राज्य सरकार ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज का परिसीमन कर दिया है। इसी प्रकार, कोटा में भी पहले दो नगर निगम बनाए गए थे जिन्हें अब मिलाकर एक कर दिया गया है। इस बदलाव के बाद जयपुर और कोटा शहरों में अब एक-एक नगर निगम कार्यरत होंगे।
पहले जयपुर शहर में ग्रेटर नगर निगम और हेरिटेज नगर निगम अशोक गहलोत सरकार के समय बनाए गए थे। इन दोनों नगर निगमों में कुल 250 वार्ड थे। नए परिसीमन के अनुसार पूरे शहर में अब केवल 150 वार्ड रहेंगे। जनसंख्या के आधार पर शहर का सबसे छोटा वार्ड संख्या 31 रहेगा, जबकि सबसे बड़ा वार्ड संख्या 135 होगा।
जयपुर में नए परिसीमन का विवरण
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जयपुर में ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम बनाए गए थे। इस समय दोनों निगमों में कुल 250 वार्ड थे। नए परिसीमन के बाद अब पूरे जयपुर शहर में केवल 150 वार्ड होंगे।
- सबसे छोटा वार्ड: वार्ड नंबर 31
- सबसे बड़ा वार्ड: वार्ड नंबर 135
यह बदलाव जनसंख्या और क्षेत्र विस्तार के आधार पर किया गया है। नए परिसीमन से शहर में संसाधनों का बेहतर वितरण और प्रशासनिक कार्यों में दक्षता सुनिश्चित की जाएगी।
गजट नोटिफिकेशन प्रक्रिया
राज्य सरकार ने छह महीने पहले नोटिफिकेशन जारी कर जयपुर नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर को एक करने की घोषणा की थी। इसके बाद परिसीमन के लिए जनता से आपत्तियां मांगी गईं। प्राप्त आपत्तियों का निपटारा करने के बाद, परिसीमन प्रस्ताव को मंजूरी दी गई और इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए भेजा गया।
गजट नोटिफिकेशन के बाद, जिला निर्वाचन शाखा वार्डों का आरक्षण (SC/ST वर्ग के लिए) तय करेगी। यह आरक्षण वार्ड में मौजूद अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। इसके अलावा, ओबीसी वर्ग और महिला वार्ड आरक्षण के लिए लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी वर्गों और लिंगों के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो।
कोटा शहर में भी पहले दो नगर निगम बनाए गए थे। राज्य सरकार ने उन्हें मिलाकर एक नगर निगम कर दिया है। इस कदम से प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी और शहर की विकास योजनाओं को एक केंद्रीकृत प्रणाली के तहत लागू किया जा सकेगा।