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कर्नाटक जाति सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू, सीएम ने की हर नागरिक से भागीदारी की अपील

कर्नाटक जाति सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू, सीएम ने की हर नागरिक से भागीदारी की अपील

कर्नाटक में 22 सितंबर से जाति सर्वेक्षण शुरू होगा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नागरिकों से भागीदारी की अपील की। सर्वेक्षण सामाजिक न्याय और समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद करेगा। तकनीकी तरीकों से घर-घर डेटा जुटाया जाएगा।

Caste Survey: कर्नाटक में 22 सितंबर से राज्य स्तरीय जाति सर्वेक्षण शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नागरिकों से इसमें भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सिद्धारमैया ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सर्वेक्षण में भाग लेना चाहिए और गणनाकर्ताओं द्वारा पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों का सही-सही उत्तर देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार न्यायपूर्ण नीतियां बनाने के लिए प्रत्येक घर से सटीक जानकारी जुटाना चाहती है।

सर्वेक्षण का उद्देश्य

कर्नाटक राज्य स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किए जाने वाले इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य राज्य की लगभग सात करोड़ आबादी के बारे में व्यापक जानकारी जुटाना है। सर्वेक्षण 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक चलेगा। इसके लिए लगभग 1.75 लाख शिक्षकों को तैनात किया जाएगा और उन्हें 20-20 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा।

सर्वेक्षण में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी मदद ली जा रही है। प्रत्येक घर को उसके बिजली मीटर नंबर के आधार पर जियो-टैग किया जाएगा और एक यूनिक हाउसहोल्ड आईडी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह प्रक्रिया पहले से 1.55 लाख घरों के लिए पूरी हो चुकी है। जिन घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है, उन्हें भी सर्वेक्षण में शामिल किया जाएगा।

तकनीकी और ऑनलाइन व्यवस्था

सर्वेक्षण के दौरान राशन कार्ड और आधार से संबंधित विवरण परिवार के मोबाइल नंबर से जोड़ा जाएगा। यदि किसी घर का पता लॉक पाया जाता है, तो परिवार ऑनलाइन सर्वेक्षण में भाग ले सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी घर सर्वेक्षण से बाहर न रह जाए। सर्वेक्षण में तकनीक का इस्तेमाल कर डेटा की सटीकता बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को सुविधाजनक विकल्प भी दिए जा रहे हैं। इससे राज्य सरकार को सही आंकड़े मिलेंगे और नीति निर्माण में मदद मिलेगी।

पहले खारिज हुई रिपोर्ट

सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल में 2015 में भी एक जाति सर्वेक्षण किया गया था। लेकिन तकनीकी कारणों और समय सीमा के कारण आयोग अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सका। बाद में आए विभिन्न गठबंधन सरकारों ने रिपोर्ट को लागू नहीं किया। इस वजह से कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनावों में जाति जनगणना रिपोर्ट को अपने घोषणापत्र में शामिल करना पड़ा।

कांग्रेस सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले रिपोर्ट मिल गई थी। लेकिन लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के विरोध के कारण इसे स्वीकार नहीं किया गया। दोनों समुदायों ने इसे अवैज्ञानिक बताया और अपनी जनसंख्या कम दिखाने का आरोप लगाया।

क्या है विवाद

पिछली रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों की संख्या क्रमशः 66.35 लाख और 61.58 लाख थी। यह दोनों समुदायों के लंबे समय से किए जा रहे दावों से काफी कम थी। इस वजह से उन्होंने सर्वेक्षण के खिलाफ विरोध जताया और दोबारा सर्वेक्षण की मांग की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार सर्वेक्षण पूरी तरह से पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत तरीके से किया जाएगा। किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी घरों से सटीक जानकारी जुटाई जाएगी।

बिहार के सर्वेक्षण से प्रेरणा

कर्नाटक का यह सर्वेक्षण बिहार के हालिया जाति आधारित सर्वेक्षण से प्रेरित है। बिहार सरकार ने 6 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जाति सर्वेक्षण के लिए अधिसूचना जारी की थी। बिहार का सर्वेक्षण दो चरणों में आयोजित किया गया। इससे कर्नाटक सरकार को यह उदाहरण मिला कि सर्वेक्षण से समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति का सटीक आंकड़ा मिल सकता है।

मुख्यमंत्री का संदेश

सिद्धारमैया ने नागरिकों से अपील की कि वे सर्वेक्षण में सक्रिय भाग लें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक घर तक सही जानकारी पहुंचाना जरूरी है। इस जानकारी के आधार पर ही राज्य सरकार न्यायपूर्ण नीतियां तैयार कर सकती है। सरकार सर्वेक्षण की प्रक्रिया में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करेगी। सभी घरों को कवर किया जाएगा और डेटा की सटीकता सुनिश्चित की जाएगी।

सर्वेक्षण में भागीदारी के लिए तैयारी

सर्वेक्षण के लिए लगभग 1.75 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। सभी गणनाकर्ताओं को घर-घर जाकर डेटा जुटाने और ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए तकनीकी उपकरण और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाएगा। सर्वेक्षण में शामिल तकनीकी उपायों में जियो-टैगिंग, यूनीक हाउसहोल्ड आईडी और राशन कार्ड व आधार से लिंक करना शामिल है। 

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