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कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान तेज, खरगे से मुलाकात के बाद बोले सिद्धारमैया- कोई बदलाव नहीं होगा

कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान तेज, खरगे से मुलाकात के बाद बोले सिद्धारमैया- कोई बदलाव नहीं होगा

कर्नाटक में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर विवाद तेज है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दिल्ली में खरगे से मुलाकात की और स्पष्ट किया कि नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई। पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग उठ रही है।

Karnataka: कर्नाटक में कांग्रेस के अंदर बढ़ती गुटबाजी और सत्ता संघर्ष को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्थिति साफ करते हुए कहा है कि पार्टी नेतृत्व में किसी बदलाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बाद सिद्धारमैया ने कहा कि यह मुद्दा हाईकमान के एजेंडे में है ही नहीं। हालांकि, कांग्रेस के भीतर प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर मतभेद और लॉबिंग लगातार तेज होती जा रही है।

दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार बीते कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। दोनों नेताओं ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन राहुल गांधी से मुलाकात का समय नहीं मिला। शुक्रवार को सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की।

इस मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि, "नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई है। मैंने कई बार स्पष्ट किया है कि यह मुद्दा कांग्रेस हाईकमान के समक्ष नहीं है। मैं पांच साल का कार्यकाल पूरा करूंगा।"

प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर उठी मांग

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अंदरूनी घमासान जारी है। सिद्धारमैया गुट की ओर से मौजूदा अध्यक्ष डीके शिवकुमार की जगह सतीश जारकीहोली का नाम आगे बढ़ाया गया है। सतीश इस समय राज्य सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं और एसटी समुदाय से आते हैं। सिद्धारमैया गुट चाहता है कि अगस्त या सितंबर तक प्रदेश अध्यक्ष का बदलाव कर दिया जाए।

विरोध और समर्थन में बंटे विधायक

प्रदेश अध्यक्ष पद के मुद्दे पर कांग्रेस के विधायक दो खेमों में बंट गए हैं। विधायक इकबाल हुसैन, सीपी योगेश्वर, उदय गौड़ा और तनवीर सैत जैसे नेता नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में हैं। वहीं सतीश जारकीहोली, महादेवप्पा और जमीर अहमद जैसे नेता फिलहाल बदलाव के विरोध में खड़े हैं। पार्टी के अंदर यह बहस तेज हो गई है कि क्या एक ही व्यक्ति (डीके शिवकुमार) उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों जिम्मेदारियां संभाल सकता है।

सत्ता और संगठन में संतुलन की चुनौती

कांग्रेस आलाकमान के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। एक ओर वह आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर राज्यों में पार्टी संगठन और सत्ता के बीच संतुलन साधना भी जरूरी है। कर्नाटक में दोनों ही जिम्मेदार पदों पर शिवकुमार के रहने से यह सवाल उठने लगे हैं कि संगठन में अन्य नेताओं को मौका क्यों नहीं मिल रहा।

राहुल गांधी से नहीं हो सकी मुलाकात

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने दिल्ली आकर राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें समय नहीं मिल सका। इससे यह संकेत भी मिले कि शीर्ष नेतृत्व फिलहाल इस मसले को तत्काल प्राथमिकता नहीं दे रहा। हालांकि, मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बाद राजनीतिक संदेश जरूर गया कि पार्टी नेतृत्व स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

सिद्धारमैया ने किया कार्यकाल पूरा करने का दावा

सिद्धारमैया ने साफ कर दिया है कि वे मुख्यमंत्री के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने गुरुवार को भी यह दोहराया था कि वे पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे और नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल नहीं उठता। यह बयान उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।

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