भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में कुछ सीरियल्स ऐसे रहे हैं, जिन्होंने दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी और वर्षों बाद भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। इन्हीं में से एक है ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, जिसे साल 2000 में लॉन्च किया गया था।
एंटरटेनमेंट: भारतीय टेलीविजन इतिहास में कुछ ऐसे शोज़ रहे हैं जिन्होंने दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज किया। उनमें से एक शो था — ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, जो साल 2000 में शुरू हुआ था और जिसने स्मृति ईरानी और अमर उपाध्याय को हर घर का चेहरा बना दिया था। अब जब यह शो फिर से 29 जुलाई को टीवी पर वापसी कर रहा है, तो यह अवसर है उन आइकॉनिक टीवी धारावाहिकों को याद करने का, जिन्होंने ‘क्योंकि’ की तरह ही टेलीविजन की दुनिया में अपना अमिट प्रभाव छोड़ा।
1. कहानी घर-घर की (2000–2008)
स्टारकास्ट: साक्षी तंवर (पार्वती), किरण करमाकर (ओम अग्रवाल), अली असगर
एकता कपूर के प्रोडक्शन हाउस का यह शो भी ‘क्योंकि’ के साथ ही आया और समान रूप से लोकप्रिय हुआ। ‘कहानी घर-घर की’ में पार्वती अग्रवाल का किरदार निभाने वाली साक्षी तंवर ने अपने सशक्त अभिनय से महिलाओं की नई छवि पेश की। यह शो भारतीय परिवारों के मूल्यों, परंपराओं और संघर्षों को गहराई से दर्शाता था। इसके संवाद और पारिवारिक रिश्तों की प्रस्तुति ने इसे हर वर्ग के दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
2. कसौटी जिंदगी की (2001–2008)
स्टारकास्ट: श्वेता तिवारी (प्रेरणा), सीजेन खान (अनुराग), रोनित रॉय (मिस्टर ऋषभ बजाज)
प्रेरणा और अनुराग की प्रेम कहानी ने उस दौर में रोमांटिक ड्रामा की परिभाषा ही बदल दी थी। इस शो में श्वेता तिवारी की प्रेरणा और सीजेन खान के अनुराग की केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब पसंद किया। रोनित रॉय का मिस्टर बजाज के रूप में किरदार आज भी टेलीविजन का एक यादगार विलेन है। शो की सफलता को देखते हुए इसका रीमेक भी बनाया गया, लेकिन पुरानी कसौटी जैसी पकड़ दोबारा नहीं बन सकी।
3. बालिका वधू (2008–2016)
स्टारकास्ट: अविका गौर (आनंदी), अविनाश मुखर्जी (जग्या), सिद्धार्थ शुक्ला (शिव)
‘बालिका वधू’ ने सामाजिक मुद्दे को केंद्र में रखते हुए भारतीय टेलीविजन पर एक क्रांति ला दी थी। बाल विवाह जैसे संवेदनशील विषय को लेकर बना यह शो सिर्फ मनोरंजन नहीं था, बल्कि सामाजिक जागरूकता का माध्यम भी बना। आनंदी के रूप में अविका गौर और बाद में सिद्धार्थ शुक्ला की ‘शिव’ के रूप में एंट्री ने शो को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। शो ने ग्रामीण भारत की सच्चाई को बेहद सटीक तरीके से प्रस्तुत किया।
4. उतरन (2008–2015)
स्टारकास्ट: टीना दत्ता (इच्छा), रश्मि देसाई (तपस्या), नंदीश संधू
‘उतरन’ ने सामाजिक असमानताओं और भावनात्मक संघर्षों को दिखाते हुए दर्शकों के दिलों को छुआ। अमीरी-गरीबी के फर्क को दर्शाती इच्छा और तपस्या की दोस्ती और प्रतिद्वंद्विता ने पूरे शो को भावनात्मक गहराई दी। टीना दत्ता और रश्मि देसाई की जोड़ी ने इस शो को घरेलू नाम बना दिया और TRP चार्ट्स पर लंबा राज किया।
5. कहीं तो होगा (2003–2007)
स्टारकास्ट: राजीव खंडेलवाल (सूजल), आमना शरीफ (कशिश)
इस शो ने युवा दर्शकों के बीच खास लोकप्रियता हासिल की। सूजल और कशिश की प्रेम कहानी ने भारतीय टीवी पर रोमांस को नया आयाम दिया। राजीव खंडेलवाल और आमना शरीफ की जोड़ी आज भी दर्शकों की यादों में बसी हुई है। शो के गीत, संवाद और इमोशनल ट्रैक ने इसे कल्ट स्टेटस दे दिया है।
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का नया सीजन 29 जुलाई से दोबारा टीवी स्क्रीन पर वापसी कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह शो नए जमाने के दर्शकों से कैसे जुड़ता है। लेकिन जो बात तय है, वो ये कि ‘क्योंकि’ और उपरोक्त जैसे शो भारतीय टेलीविजन की विरासत हैं, जिनकी यादें और प्रभाव आज भी उतने ही जीवंत हैं।