एक्सपर्ट्स के मुताबिक, होम्योपैथिक दवाएं जैसे चेलिडोनियम मैजस, कार्डुअस मारियानस और लाइकोपोडियम क्लैवेटम लिवर को डिटॉक्स करने में मददगार हैं। ये दवाएं लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाने और पाचन को सुधारने में सहायक होती हैं। हालांकि, इनका सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए और हेल्दी डाइट व पर्याप्त पानी जरूरी है।
Homeopathic: लिवर शरीर का प्रमुख अंग है जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है। गलत खानपान और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण फैटी लिवर जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में लोग प्राकृतिक उपचार की ओर रुख कर रहे हैं। सीनियर होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. मंजू सिंह के अनुसार, चेलिडोनियम मैजस, कार्डुअस मारियानस और लाइकोपोडियम क्लैवेटम जैसी होम्योपैथिक दवाएं लिवर को डिटॉक्स करने, उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने और शरीर में ऊर्जा संतुलन लौटाने में मदद करती हैं। हालांकि, दवाओं का सेवन स्वयं न करें, बल्कि किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें और स्वस्थ आहार का पालन करें।
होम्योपैथी से लिवर को कैसे मिले राहत
सीनियर होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. मंजू सिंह बताती हैं कि होम्योपैथी लिवर और पित्ताशय को स्वस्थ बनाए रखने का एक सुरक्षित और असरदार तरीका है। आमतौर पर, पारंपरिक इलाज में डॉक्टर केवल लक्षणों पर ध्यान देते हैं, जबकि होम्योपैथी पूरे शरीर का संतुलन सुधारने पर काम करती है। यह शरीर की अंदरूनी प्रणाली को सक्रिय करती है ताकि लिवर खुद को प्राकृतिक तरीके से ठीक कर सके।
डॉ. सिंह के अनुसार, होम्योपैथिक उपचार केवल बीमारी को दबाता नहीं, बल्कि उसके मूल कारण को समझकर शरीर की हीलिंग प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। यह तरीका लिवर को बेहतर तरीके से डिटॉक्स करने और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
लिवर डिटॉक्स में असरदार होम्योपैथिक दवाएं

होम्योपैथी में कई ऐसी दवाएं हैं जो लिवर की सफाई और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में फायदेमंद मानी जाती हैं। इनमें प्रमुख हैं चेलिडोनियम मैजस, कार्डुअस मारियानस और लाइकोपोडियम क्लैवेटम। ये दवाएं प्राकृतिक तरीके से लिवर की कोशिकाओं को सक्रिय करती हैं और शरीर में जमा हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती हैं।
डॉ. मंजू सिंह कहती हैं कि इन दवाओं का असर केवल लिवर पर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर दिखाई देता है। ये दवाएं पाचन क्रिया को बेहतर बनाती हैं, शरीर की ऊर्जा बढ़ाती हैं और संतुलन बनाए रखती हैं। इनसे व्यक्ति को थकान, भारीपन और अपच जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी
डॉ. सिंह का कहना है कि हालांकि होम्योपैथिक दवाएं आमतौर पर सुरक्षित होती हैं और इनके साइड इफेक्ट बहुत कम होते हैं, फिर भी किसी भी दवा का सेवन खुद से नहीं करना चाहिए। इंटरनेट पर लक्षण देखकर दवा लेने के बजाय किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, खानपान और जीवनशैली देखकर ही तय करते हैं कि कौन सी दवा और किस मात्रा में आपके लिए सही होगी। गलत दवा या गलत डोज से इलाज का असर कम हो सकता है।
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी आदतें
डॉ. सिंह बताती हैं कि दवा के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार भी बेहद जरूरी है। इसके लिए हेल्दी डाइट लेना, पर्याप्त पानी पीना और तली-भुनी चीजों से परहेज करना लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ज्यादा देर तक भूखे रहना या अत्यधिक तेल-मसाले वाला खाना खाने से लिवर पर दबाव बढ़ता है।
इसलिए होम्योपैथिक इलाज के साथ संतुलित भोजन, हल्की फिजिकल एक्टिविटी और तनाव रहित दिनचर्या अपनाने से लिवर की सेहत लंबे समय तक बनी रहती है। इस तरह होम्योपैथी न केवल लिवर डिटॉक्स में मदद करती है, बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत और ऊर्जावान बनाती है।
 
                                                                        
                                                                             
                                                












