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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में साधुओं का अजब रूप, रुद्राक्ष से लेकर IITian बाबा की झलक, देखें तस्वीरें 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में साधुओं का अजब रूप, रुद्राक्ष से लेकर IITian बाबा की झलक, देखें तस्वीरें 
अंतिम अपडेट: 16-01-2025

महाकुंभ में आध्यात्मिकता और तपस्या का संगम है, जहां अद्भुत बाबाओं की मौजूदगी ने इसे और रोचक बना दिया है। त्रिवेणी संगम में तंबुओं की नगरी आध्यात्मिकता से गूंज रही है।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला सिर्फ आध्यात्मिकता का संगम नहीं, बल्कि यहां पर आस्था, तपस्या, और अनोखी साधनाओं का भी अद्वितीय संगम है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर, जहां श्रद्धालु अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए डुबकी लगा रहे हैं, वहीं साधुओं के अद्भुत रूप और उनकी विशेष साधनाएं मेले को और भी खास बना रही हैं। यहां कुछ खास बाबाओं ने अपनी अनूठी साधनाओं से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है।

रुद्राक्ष बाबा की 45 किलो की माला

सवा लाख रुद्राक्ष की माला सिर पर धारण करने वाले श्रीमहंत गीतानंद गिरि, जो 'सवा लाख रुद्राक्ष वाले' के नाम से प्रसिद्ध हैं, महाकुंभ में एक विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। 2019 में अर्धकुंभ में उन्होंने 12 साल तक सिर पर रुद्राक्ष माला धारण करने का संकल्प लिया था, और आज उनकी माला का वजन 45 किलो हो चुका है। उनका उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा और जनकल्याण है। रोजाना 12 घंटे तक वह इसे सिर पर धारण करते हैं।

निर्मल बाबा का 12 वर्षों से अन्न त्याग

पंचायती आनंद अखाड़ा के महंत बाबा निर्मल गिरी, जो 12 वर्षों से अन्न का त्याग कर केवल फलाहार पर जीवन यापन कर रहे हैं, महाकुंभ में एक अन्य साधक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने संन्यास की दीक्षा 10 साल की उम्र में ली थी और तब से अपनी कठिन साधना में लीन हैं। उनका मानना है कि उनका यह त्याग भारत को सनातन राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

पर्यावरण संदेश देने वाले इनवायरमेंट बाबा

आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरि, जिन्हें एनवायरनमेंट बाबा के नाम से जाना जाता है, महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। स्वामी अरुण गिरि ने 2016 में कन्याकुमारी से मां वैष्णो देवी मंदिर तक पदयात्रा निकाल कर 27 लाख पौधे वितरित किए थे। अब उनका लक्ष्य महाकुंभ में 51 हजार पौधे वितरित करना है। उनका मानना है कि पर्यावरण की रक्षा से ही धरती पर जीवन रहेगा।

इंजीनियरिंग बाबा अभय सिंह का अद्भुत सफर

महाकुंभ में एक और अद्वितीय चेहरा उभरकर सामने आया है, जो इंजीनियरिंग बाबा के नाम से जाना जा रहा है। उनका असली नाम अभय सिंह है, जो आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद जीवन के अंतिम सत्य की खोज में संन्यास का मार्ग अपनाने वाले युवा संन्यासी हैं। उनकी कहानी विज्ञान और आध्यात्म का अनोखा संगम है, और वह बताते हैं कि, "विज्ञान सत्य तक पहुंचने का माध्यम हो सकता है, लेकिन अंतिम सत्य आत्मज्ञान से ही प्राप्त होता है।"

महाकुंभ में संतों का अद्भुत रूप और साधना

महाकुंभ मेला न केवल आध्यात्मिकता का, बल्कि विभिन्न बाबाओं के अद्भुत रूपों और साधनाओं का भी संगम है। श्रद्धालु इन साधुओं से मिलने और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन धन्य करने के लिए उमड़ रहे हैं। ये साधु अपनी विशेष साधनाओं और तपस्या से महाकुंभ को और भी रोचक बना रहे हैं।

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