तेलंगाना हाई कोर्ट में गुरुवार को चार नए एडिशनल जजों ने शपथ ग्रहण की। इन नए जजों में गौस मीरा मोहिउद्दीन, चालपति राव सुडासा, वकिति रामकृष्ण रेड्डी और गादी प्रवीण कुमार शामिल हैं। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने आयोजित समारोह में चारों को पद की शपथ दिलाई।
हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट में गुरुवार को चार नए अतिरिक्त जजों ने पद की शपथ ली। इन चारों वकीलों को हाल ही में भारत के राष्ट्रपति द्वारा अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। गौस मीरा मोहिउद्दीन, चालपति राव सुडासा, वकिति रामकृष्ण रेड्डी और गादी प्रवीण कुमार ने न्यायपालिका के उच्च पद की जिम्मेदारी संभालते हुए न्याय दिलाने की दिशा में एक नई शुरुआत की।
शपथ समारोह का आयोजन
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने एक औपचारिक समारोह में चारों नव नियुक्त अतिरिक्त जजों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा 28 जुलाई 2025 को मंजूर की गई थी। इन सभी जजों की नियुक्ति प्रारंभिक तौर पर दो वर्षों के लिए की गई है। तय समय के बाद, उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें स्थायी जज बनाया जा सकता है।
कौन हैं ये चार नए जज?
- गौस मीरा मोहिउद्दीन – तेलंगाना के एक प्रतिष्ठित वकील, जो वर्षों से आपराधिक कानून, सेवा मामलों और संवैधानिक प्रावधानों पर काम कर रहे हैं।
- चालपति राव सुडासा – हाई कोर्ट में दीवानी और फौजदारी मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। न्यायिक क्षेत्र में उनका व्यापक अनुभव रहा है।
- वकिति रामकृष्ण रेड्डी – कानून की विभिन्न शाखाओं में गहरी पकड़ रखने वाले वकील, जिन्होंने जनहित याचिकाओं और प्रशासनिक कानूनों में विशेष योगदान दिया है।
- गादी प्रवीण कुमार – संविधान, सेवा, कर और भूमि अधिग्रहण मामलों के प्रख्यात वकील, जो वर्षों से तेलंगाना हाई कोर्ट में सक्रिय हैं।
भारत में हाई कोर्ट जज बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, किसी व्यक्ति को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाए जाने के लिए कुछ निर्धारित योग्यताएं होना आवश्यक है:
- भारतीय नागरिकता: उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
- अनुभव: उसे किसी एक या अधिक उच्च न्यायालयों में वकील के रूप में कम से कम 10 वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
- उम्र: हाई कोर्ट के जज के लिए अधिकतम आयु 62 वर्ष निर्धारित है। हालांकि, न्यूनतम आयु की कोई बाध्यता नहीं है।
- चरित्र और प्रतिष्ठा: उम्मीदवार का चरित्र बेदाग, ईमानदार और पेशेवर रूप से उत्कृष्ट होना चाहिए। उनकी न्यायिक समझ और निष्पक्षता की बारीकी से जांच की जाती है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया कैसे होती है?
भारत में हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के तहत होती है। इसमें कई चरण होते हैं:
- राज्य कॉलेजियम की सिफारिश: हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ जजों की समिति योग्य उम्मीदवारों के नाम तय करती है।
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मंजूरी: राज्य कॉलेजियम की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजी जाती हैं, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश और शीर्ष जज शामिल होते हैं।
- केंद्र सरकार की भूमिका: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है, जो अंतिम जांच के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजती है।
- राष्ट्रपति की मंजूरी: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की स्वीकृति मिलने के बाद संबंधित व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
- अतिरिक्त न्यायाधीशों को आमतौर पर दो वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है, ताकि उनके कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा सके। इस दौरान उनके निर्णयों, कार्यशैली और निष्पक्षता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
भारत की न्यायपालिका को मिलेगा नया आयाम
चार नए अतिरिक्त जजों की नियुक्ति से तेलंगाना हाई कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया की गति और मामलों की त्वरित सुनवाई को बल मिलेगा। इससे न केवल लंबित मामलों का निपटारा तेज़ होगा, बल्कि न्याय तक आम आदमी की पहुंच भी सुलभ हो सकेगी। नए जजों की नियुक्ति न्याय प्रणाली को सशक्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इससे स्पष्ट होता है कि भारत की न्यायपालिका योग्य, अनुभवी और ईमानदार पेशेवरों को न्यायिक व्यवस्था में शामिल कर न्याय की बुनियाद को और मजबूत कर रही है।