मेघालय में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, जहां पार्टी के एकमात्र विधायक रोनी वी लिंगदोह ने सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का दामन थाम लिया है। लिंगदोह माइलीम विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे।
Congress Party: मेघालय की राजनीति में एक बड़ा बदलाव सामने आया है, जहां राज्य में कांग्रेस पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया है। पार्टी के अंतिम बचे विधायक रोनी वी लिंगदोह ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) में विलय कर लिया है। इसके साथ ही 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में अब कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि नहीं रह गया है।
रोनी लिंगदोह ने कांग्रेस से तोड़ा नाता, NPP में हुए शामिल
मेघालय की माइलीम विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित विधायक रोनी वी लिंगदोह ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष थॉमस ए संगमा को अपना विलय पत्र सौंप दिया। बाद में राज्य के उपमुख्यमंत्री स्नियावभलंग धर ने पुष्टि की कि लिंगदोह औपचारिक रूप से NPP में शामिल हो चुके हैं। उनके इस फैसले से NPP के विधायकों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है, जिससे पार्टी की सत्ता और अधिक मज़बूत हो गई है।
कांग्रेस ने 2023 में जीती थीं 5 सीटें, अब सभी विधायक हुए अलग
2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने मेघालय में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, धीरे-धीरे सभी विधायक पार्टी छोड़ते चले गए। सालेंग ए संगमा, जो एक समय में कांग्रेस विधायक थे, ने 2024 के लोकसभा चुनाव में तुरा सीट से जीत हासिल की और सांसद बन गए। इसके बाद कांग्रेस के पास केवल 4 विधायक बचे थे।
19 अगस्त 2024 को तीन विधायकों — सेलेस्टाइन लिंगदोह (उमसनिंग), गेब्रियल वाहलांग (नोंगस्टोइन) और चार्ल्स मार्नगर (मावहती) ने NPP का दामन थाम लिया। इन सभी विधायकों का पार्टी से सामूहिक रूप से बाहर जाना दल-बदल विरोधी कानून के दायरे में नहीं आया क्योंकि उन्होंने पार्टी के दो-तिहाई बहुमत के साथ विलय किया। इसके चलते विधानसभा अध्यक्ष ने इस विलय को संवैधानिक रूप से मान्यता दे दी।
कांग्रेस का राज्य विधानसभा से हुआ पूर्ण सफाया
रोनी वी लिंगदोह के पार्टी छोड़ने के बाद अब मेघालय विधानसभा में कांग्रेस का कोई भी विधायक नहीं बचा है। यह स्थिति कांग्रेस के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर झटका मानी जा रही है, खासकर पूर्वोत्तर भारत जैसे क्षेत्र में जहां पार्टी की पकड़ पहले कभी मज़बूत मानी जाती थी। वर्तमान में NPP की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को 32 विधायकों का समर्थन मिल चुका है, जिससे पार्टी की स्थिति और भी मज़बूत हो गई है।
नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने धीरे-धीरे मेघालय में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया है। पहले से ही सत्ता में मौजूद इस पार्टी ने कांग्रेस के बचे-खुचे विधायकों को अपने पाले में कर, राज्य की राजनीति पर अपना प्रभुत्व और अधिक बढ़ा लिया है।
कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
मेघालय में कांग्रेस का यह हाल भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के लिए खतरे की घंटी है। राज्य से पूरी तरह गायब हो जाना, न केवल संगठनात्मक विफलता को दर्शाता है बल्कि यह भी इंगित करता है कि पार्टी स्थानीय मतदाताओं से जुड़ाव खोती जा रही है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में पार्टी को ज़मीनी स्तर पर दोबारा जनाधार बनाने के लिए नए नेतृत्व, रणनीतिक पुनर्गठन और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की सख्त जरूरत है।