बेल्जियम की अदालत ने मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी। चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंक घोटाला, मनी लॉन्ड्रिंग, फर्जी गारंटी और शेयर बाजार धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं। राजनीतिक उत्पीड़न का दावा अदालत ने खारिज किया।
Belgian Court: भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने के रास्ते में अब अधिकांश कानूनी बाधाएं समाप्त हो गई हैं। बेल्जियम की अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि 66 वर्षीय मेहुल चोकसी भारत प्रत्यर्पण के लिए विदेशी नागरिक हैं और उनके प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं है। अदालत ने यह भी माना कि चोकसी के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और इस मामले में भारत का तर्क उचित है।
नागरिकता विवाद का इतिहास
मेहुल चोकसी की नागरिकता लंबे समय से विवाद का विषय रही है। चोकसी का दावा है कि उन्होंने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त करने के बाद 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी। इसके बावजूद भारत लगातार यह तर्क देता रहा है कि चोकसी भारतीय नागरिक हैं और इसलिए उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। भारत ने चोकसी के खिलाफ जो केस भेजा है, उसमें धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
चोकसी पर लगाए गए आरोप
भारत सरकार ने चोकसी के खिलाफ विभिन्न गंभीर अपराधों के आरोप लगाए हैं। इनमें शामिल हैं:
- साजिश (धारा 120-B)
- सबूत मिटाना (धारा 201)
- सरकारी पैसे की हेराफेरी (धारा 409)
- धोखाधड़ी (धारा 420)
- झूठे खाते या रिकॉर्ड (धारा 477A)
- भ्रष्टाचार से जुड़े अपराध (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988)
इन सभी अपराधों की सजा एक साल से अधिक जेल है। ये आरोप भारत में लंबित जांच और अभियोजन के तहत महत्वपूर्ण हैं।
बेल्जियम का कानून
बेल्जियम के कानून के मुताबिक किसी आपराधिक गैंग का हिस्सा बनना, धोखाधड़ी, गबन, रिश्वत, जालसाजी और फर्जी कागजों का इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है। इन अपराधों की सजा बेल्जियम में एक साल से ज्यादा जेल है। हालांकि, सबूत मिटाना (धारा 201, IPC) बेल्जियम में अपराध नहीं माना जाता। इसलिए इस विशेष अपराध पर प्रत्यर्पण की मंजूरी नहीं दी गई।
अदालत ने क्या कहा
बेल्जियम की अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि कथित अपराध 31 दिसंबर 2016 और 1 जनवरी 2019 के बीच हुए थे। चोकसी के दावे कि उसे एंटीगुआ से जबरन भारत लाया गया और उसे राजनीतिक उत्पीड़न या अमानवीय व्यवहार का खतरा है, अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला राजनीतिक नहीं है, न ही सैन्य या टैक्स से जुड़ा है। भारत ने चोकसी के खिलाफ कार्रवाई किसी जाति, धर्म या राजनीतिक विचार के कारण नहीं की है।
भारत की ओर से बेल्जियम को दी गई जानकारी
भारत ने बेल्जियम अदालत को बताया कि चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा। उन्हें बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो 46 वर्ग मीटर क्षेत्र का है और इसमें दो सेल व निजी शौचालय शामिल हैं। अदालत में पेशी और चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए ही उन्हें बाहर लाया जाएगा। उनका नियंत्रण जांच एजेंसी के पास नहीं, बल्कि अदालत के पास रहेगा।
बेल्जियम कोर्ट का अंतिम निर्णय
बेल्जियम की अदालत ने आदेश में कहा कि चोकसी भारत के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में आरोपी हैं। यह राजनीतिक मामला नहीं है और भारत में उन्हें निष्पक्ष सुनवाई और सुरक्षा मिलेगी। अदालत ने भारत द्वारा जेल और चिकित्सा की व्यवस्थाओं की पुष्टि भी स्वीकार की।
मेहुल चोकसी पर प्रमुख आरोप
मेहुल चोकसी पर कई गंभीर आरोप हैं जो भारत में लंबित हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- पंजाब नेशनल बैंक घोटाला: चोकसी पर पीएनबी के साथ मिलकर 13,850 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
- मनी लॉन्ड्रिंग: चोकसी ने मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी लेनदेन किए।
- फर्जी गारंटी: पीएनबी अधिकारियों के सहयोग से फर्जी गारंटी जारी की गई।
- शेयर बाजार में धोखाधड़ी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उन्हें 10 साल के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित किया।
- नकली हीरों की बिक्री: चोकसी पर नकली हीरों को असली बताकर बेचने का आरोप है।
- विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी लोन: उसने विदेशी बैंकों से बिना सुरक्षा के लोन लिया और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग की।