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Meta Controversy: Mark Zuckerberg के खिलाफ केस दायर, जानें क्या है मामला

Meta Controversy: Mark Zuckerberg के खिलाफ केस दायर, जानें क्या है मामला

अमेरिकी टेक कंपनी Meta विवादों में घिरी है, जब मार्क स्टीवन जुकरबर्ग नामक वकील ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। वकील का आरोप है कि Meta बार-बार उसका कमर्शियल पेज डिलीट कर रहा है, जिससे उसे आर्थिक नुकसान और विज्ञापन खर्च का झटका लगा। कंपनी ने गलती स्वीकार कर अकाउंट रिस्टोर किया, लेकिन वकील अब भी मुआवजे और माफी की मांग कर रहे हैं।

Meta Controversy: अमेरिकी टेक दिग्गज Meta इस समय कानूनी लड़ाई में फंसी है, जब इंडियानापॉलिस के वकील मार्क स्टीवन जुकरबर्ग ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। वकील का आरोप है कि कंपनी पिछले आठ वर्षों में बार-बार उसका कमर्शियल पेज डिलीट कर चुकी है, जिससे उसे लगभग 10 लाख रुपये का विज्ञापन खर्च और आर्थिक नुकसान हुआ। Meta का कहना है कि यह पेज CEO मार्क जुकरबर्ग के नाम का अनुचित इस्तेमाल कर रहा था। कंपनी ने गलती मानते हुए अकाउंट रिस्टोर किया, लेकिन वकील अब भी मुआवजे और माफी की मांग कर रहे हैं।

वकील ने Meta पर लगाया आरोप

अमेरिकी टेक कंपनी Meta इस समय विवादों में घिरी है, लेकिन इसमें CEO मार्क जुकरबर्ग का कोई मामला नहीं है। दरअसल, इंडियानापॉलिस के वकील मार्क स्टीवन जुकरबर्ग ने Meta के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि कंपनी बार-बार उनका कमर्शियल पेज डिलीट कर रही है। Meta का कहना है कि यह पेज CEO मार्क जुकरबर्ग के नाम का इस्तेमाल कर बनाया गया है।

आर्थिक नुकसान और विज्ञापन खर्च

वकील ने बताया कि उन्होंने अपनी लीगल सर्विस के विज्ञापन पर लगभग 10 लाख रुपये खर्च किए हैं, लेकिन Meta ने उनके अकाउंट को गलत तरीके से सस्पेंड कर दिया। इसके बावजूद विज्ञापन खर्च लगातार जारी रहा। उन्होंने कहा कि 2017 से वे इस मामले को लेकर कंपनी से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।

Meta का रिस्टोर और वकील की मांगें

Meta ने अपनी गलती मानते हुए वकील का अकाउंट रिस्टोर कर दिया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि अकाउंट गलती से सस्पेंड हुआ था और भविष्य में ऐसा नहीं होगा। हालांकि, वकील इससे संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने आर्थिक नुकसान की भरपाई, लीगल फीस और माफी की मांग की है।

Meta का यह विवाद दिखाता है कि बड़े टेक प्लेटफॉर्म पर पेज सस्पेंशन और डिजिटल अधिकारों को लेकर कितनी संवेदनशीलता की आवश्यकता है। आने वाले समय में कोर्ट की कार्रवाई और कंपनी की नीतियां इस तरह के मामलों में दिशा निर्धारित कर सकती हैं।

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