स्कैमर्स ने भारत और ब्राजील के लोकप्रिय फाइनेंस कंटेंट क्रिएटर्स, क्रिकेट खिलाड़ियों और बिजनेस हस्तियों की नकली तस्वीरें और वीडियो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया व मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर वायरल किया।
टेक्नोलॉजी: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निवेश के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े पर लगाम कसते हुए टेक कंपनी Meta ने मार्च 2025 में बड़ी कार्रवाई की है। कंपनी ने 23,000 से अधिक फर्जी फेसबुक पेजों और अकाउंट्स को बंद कर दिया है, जो भारत और ब्राजील में हजारों यूजर्स को ठगने में लगे थे। इन स्कैम में स्कैमर्स ने हाईटेक डीपफेक तकनीक का सहारा लेकर नामी बिजनेस लीडर्स, फाइनेंस इंफ्लुएंसर्स और क्रिकेट खिलाड़ियों की झूठी फोटो-वीडियो बनाकर लोगों को गुमराह किया।
कैसे रची गई थी धोखाधड़ी की स्क्रिप्ट?
इन फर्जी पेजों पर शेयर की गई पोस्ट्स में स्कैमर्स ने दावा किया कि अमुक व्यक्ति (जैसे कोई चर्चित निवेश सलाहकार, बिजनेस आइकन या क्रिकेटर) एक खास निवेश योजना की सिफारिश कर रहा है, जिससे बहुत जल्दी दोगुना या तिगुना मुनाफा मिलेगा। पोस्ट्स में इन हस्तियों के डीपफेक वीडियो या मॉर्फ्ड फोटो लगाकर विश्वास दिलाया जाता था कि ये योजनाएं भरोसेमंद हैं।
इन पोस्ट्स में दिए गए लिंक पर क्लिक करने पर यूजर्स को या तो किसी मैसेजिंग ऐप ग्रुप में जोड़ दिया जाता या फिर उन्हें नकली Google Play Store जैसी दिखने वाली वेबसाइट पर ले जाकर स्कैम एप्स डाउनलोड कराए जाते। एक बार ऐप डाउनलोड होने के बाद पीड़ित से निजी जानकारियां, बैंक डिटेल्स और पेमेंट मांगी जाती थी।
Meta की सख्त कार्रवाई और चेतावनी
Meta ने एक बयान जारी कर कहा कि मार्च 2025 में भारत और ब्राजील को टारगेट करने वाले हजारों फेसबुक पेज, अकाउंट्स और ग्रुप्स को डिलीट किया गया है जो एक कॉर्डिनेटेड स्कैम नेटवर्क का हिस्सा थे। ये अकाउंट्स लगातार नकली निवेश योजनाओं, सट्टेबाजी एप्स और कोचिंग ग्रुप्स के बहाने लोगों को धोखा दे रहे थे।
कंपनी ने यूजर्स से अपील की है कि वे तेज़ कमाई जैसे झांसे में न आएं और किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचे-समझें। Meta ने यह भी कहा कि वह डीपफेक और एआई-जनरेटेड मटेरियल को रोकने के लिए अपने प्लेटफॉर्म्स पर टेक्नोलॉजी और मॉडरेशन को और मज़बूत करेगा।
भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम
Meta भारत सरकार के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर देश में डिजिटल सुरक्षा और फ्रॉड से बचाव पर काम कर रही है। कुछ अहम प्रयास इस प्रकार हैं:
- दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ मिलकर Meta ने WhatsApp पर साइबर सेफ्टी वर्कशॉप्स आयोजित कीं, जहां संचार मित्रों, फील्ड एजेंट्स और DoT अधिकारियों को ऑनलाइन फ्रॉड की पहचान और रिपोर्टिंग की ट्रेनिंग दी गई।
- उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के ‘जागो ग्राहक जागो’ अभियान के अंतर्गत Meta ने डिजिटल जागरूकता कैंपेन चलाया, जिसमें उपभोक्ताओं को बताया गया कि कैसे नकली ऐप्स, ईमेल्स और वेबसाइट्स से सावधान रहें।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के माध्यम से WhatsApp ने सात राज्यों की पुलिस इकाइयों को ट्रेनिंग दी ताकि वे आम जनता को ऑनलाइन ठगी से बचा सकें और फ्रॉड की जांच में तकनीकी मदद कर सकें।
नकली निवेश स्कैम कैसे करते हैं काम?
Meta ने निवेश घोटालों के कुछ प्रमुख तरीकों की जानकारी दी है:
- फर्जी निवेश स्कीम्स: जल्दी रिटर्न, सीक्रेट टिप्स और स्पेशल मेंबरशिप के नाम पर लोगों को फंसाया जाता है।
- अग्रिम भुगतान स्कैम: पहले निवेश या सेवा शुल्क के नाम पर पैसे मांग लिए जाते हैं, फिर स्कैमर फरार हो जाते हैं।
- रिफंड धोखा: स्कैमर पहले ज्यादा पैसे ट्रांसफर करने का दावा करते हैं और बाद में “रिफंड” के नाम पर ठगी करते हैं।
क्या करें, क्या न करें
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- सोशल मीडिया पर दिखाई गई स्कीम्स पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
- किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले केवल आधिकारिक स्टोर्स (Google Play / Apple Store) का ही इस्तेमाल करें।
- नामी हस्तियों के बयान, वीडियो या प्रमोशन की प्रामाणिकता खुद जांचें।
Meta की इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़े को रोकने के लिए अब टेक कंपनियां सक्रिय हो चुकी हैं। लेकिन साथ ही आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि हर दिन स्कैमर्स नई तरकीबें लेकर आ रहे हैं। डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहना अब सिर्फ तकनीक नहीं, एक आदत बनाना ज़रूरी है।