मराठा आरक्षण की मांग पर छगन भुजबल ने ओबीसी कोटे में मराठों को शामिल करने का विरोध किया। मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर हैं, वहीं अदालत ने सड़कें खाली कराने का आदेश दिया और शांतिपूर्ण आंदोलन की शर्त रखी।
Mumbai: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरम हो गया है। ओबीसी के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर ओबीसी का हक मारा गया तो लाखों लोग सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने मराठा समाज को ओबीसी कोटे में शामिल करने का विरोध करते हुए कहा कि यह न तो कानूनी तौर पर सही है और न ही सामाजिक रूप से जायज।
भूख हड़ताल से बढ़ा तनाव
मनोज जरांगे 29 अगस्त को जालना जिले के अंतरवाली-सराटी गांव से हजारों समर्थकों के साथ पैदल मार्च करते हुए मुंबई पहुंचे थे। यहां पहुंचकर उन्होंने मराठा समाज के लिए ओबीसी कोटे में आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी। आंदोलनकारियों ने दक्षिण मुंबई के सीएसएमटी रेलवे स्टेशन और आसपास की सड़कों पर डेरा डाल दिया, जिससे दफ्तरों और यातायात पर गंभीर असर पड़ा। मुंबई का व्यस्त इलाका कई दिनों तक जाम और अव्यवस्था से जूझता रहा।
भुजबल की चेतावनी
ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद भुजबल ने कहा कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में से 6 फीसदी खानाबदोश जनजातियों, 2 फीसदी गोवारी समुदाय और अन्य छोटे-छोटे हिस्सों में बंट चुका है। अब सिर्फ 17 फीसदी कोटा 374 समुदायों के लिए बचा है। ऐसे में मराठों को इस कोटे में शामिल करना ओबीसी समाज के साथ नाइंसाफी होगी। भुजबल ने कहा कि अदालत पहले ही इस मांग को गलत करार दे चुकी है और ओबीसी समाज सरकारी नौकरियों और शिक्षा में सीमित मौकों के लिए पहले से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने ओबीसी कोटे को छेड़ा तो लाखों लोग सड़कों पर उतरेंगे और बड़े पैमाने पर आंदोलन होगा।
अलग से आरक्षण देने पर जोर
भुजबल ने यह भी साफ कर दिया कि उन्हें मराठा समाज को आरक्षण दिए जाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह ओबीसी कोटे से नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जरांगे की वह मांग, जिसमें ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर मराठों को कुंबी दर्जा देने की बात हो रही है, ओबीसी समाज के हक में सेंध लगाएगी। भुजबल ने दोहराया कि मराठों को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए ताकि किसी का हक न मारा जाए और सामाजिक संतुलन भी बिगड़े नहीं।
अदालत ने जारी किया आदेश
मुंबई उच्च न्यायालय ने आंदोलन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि आंदोलन का अधिकार सभी को है, लेकिन इससे आम जनता की जिंदगी प्रभावित नहीं होनी चाहिए। अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि 2 सितंबर दोपहर 12 बजे तक सभी सड़कें खाली कराई जाएं और पांच हजार से अधिक लोग आंदोलन में शामिल न हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन आजाद मैदान तक सीमित रहना चाहिए और गणेशोत्सव के मौके पर मुंबई की बदनामी नहीं होनी चाहिए।
जरांगे की अपील और सरकार की प्रतिक्रिया
अदालत के आदेश के बाद मनोज जरांगे ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे सड़कों से हट जाएं और कानून का पालन करें। उन्होंने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और आरक्षण की मांग कानूनी तरीके से ही आगे बढ़ाई जाएगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी अदालत के निर्देशों का स्वागत किया और कहा कि सरकार आदेशों का पालन करेगी और मराठा समाज की मांगों के समाधान के लिए गंभीरता से प्रयास करेगी।
पहले भी बढ़ा आरक्षण विवाद
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग कई वर्षों से चल रही है। 2018 में राज्य सरकार ने मराठों को 16 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी, लेकिन 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। अदालत ने कहा था कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। इसके बाद से ही मराठा समाज अलग-अलग तरीकों से आरक्षण की मांग कर रहा है।