अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोप को चेतावनी दी कि रूस से तेल खरीदना उसकी युद्ध मशीन को सहारा दे रहा है। उन्होंने NATO देशों से रूसी तेल आयात बंद करने और चीन पर 50-100% टैरिफ लगाने की मांग की। ट्रंप का दावा है कि इन कदमों से रूस कमजोर होगा और वार्ता की स्थिति मजबूत होगी।
Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने Truth Social पोस्ट में यूरोप और चीन को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कुछ यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध को आर्थिक बल मिल रहा है। ट्रंप ने NATO देशों से आग्रह किया कि वे रूसी तेल का आयात पूरी तरह बंद करें और चीन पर 50-100% टैरिफ लगाएं। उनका कहना है कि यह टैरिफ तब तक जारी रहेंगे जब तक युद्ध खत्म नहीं होता। यदि ये कदम उठाए जाते हैं, तो रूस की तेल आय पर बड़ा झटका लगेगा, जबकि चीन और यूरोप के साथ वैश्विक आर्थिक तनाव और ऊर्जा बाज़ार में उथल-पुथल बढ़ सकती है।
ट्रंप का यूरोप पर हमला
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट लिखकर यूरोपीय देशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नाटो के कुछ सदस्य अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक ऐसा करना न केवल रूस को फायदा पहुंचा रहा है बल्कि नाटो की बातचीत और सौदेबाजी की ताकत को भी कमजोर कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप ने रूसी तेल की खरीदारी कुछ हद तक घटाई है, लेकिन अभी भी पूरी तरह रोक नहीं लगाई गई है।
चीन पर सीधा वार
ट्रंप ने चीन पर भी तीखे आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चीन रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को सहारा दे रहा है। ट्रंप ने साफ कहा कि अगर नाटो देश रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाते हैं तो अमेरिका चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक के आयात शुल्क लगाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये टैरिफ तभी हटेंगे जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म होगा।
नाटो और G7 पर दबाव
ट्रंप की यह चेतावनी नाटो और G7 देशों के लिए किसी बड़े दबाव से कम नहीं है। अमेरिका पहले से ही यूरोप और अपने सहयोगियों से कहता रहा है कि वे रूस और ईरान को आर्थिक रूप से अलग करें। अब ट्रंप ने इसे और ज्यादा सख्त अंदाज में दोहराया है। उनका कहना है कि अगर सब मिलकर कदम उठाएंगे तो रूस की आय का बड़ा स्रोत खत्म हो जाएगा और उस पर सीधा असर पड़ेगा।
यूरोप के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कई देश अब भी ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर हैं। गैस और तेल की आपूर्ति के बिना उनकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। ऐसे में रूस से पूरी तरह तेल आयात बंद करना आसान नहीं है। ट्रंप के बयान से यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या यूरोपीय देश अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए इतनी सख्त कार्रवाई कर पाएंगे।
वैश्विक बाजार पर असर
अगर ट्रंप की बातों के मुताबिक चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाते हैं तो वैश्विक बाजार में भारी उथल-पुथल हो सकती है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा बाजार। ऐसे में अगर टैरिफ बढ़ते हैं तो अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा। साथ ही तेल बाजार में भी कीमतें बढ़ सकती हैं, खासकर उन देशों में जो ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर हैं।
यूरोप के लिए मुश्किल विकल्प
यूरोप पहले ही रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुका है। लेकिन तेल और गैस के मामले में पूरी तरह निर्भरता खत्म करना अभी संभव नहीं हो पाया है। कुछ देशों ने रूस से आयात कम कर दिया है, पर पूरी तरह रोक लगाने में हिचकिचाहट बनी हुई है। ट्रंप के दबाव से अब यूरोप के सामने विकल्प और कठिन हो गया है।
ट्रंप की इस घोषणा से चीन और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ सकता है। पहले ही दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर विवाद जारी है। ट्रंप के कार्यकाल में ही अमेरिका ने चीन के कई सामानों पर भारी टैरिफ लगाए थे। अब अगर रूस को लेकर नए टैरिफ लगाए जाते हैं तो रिश्ते और बिगड़ सकते हैं।