लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर दो दिन की बहस हुई। विपक्ष ने सुरक्षा चूक और जवाबदेही के सवाल उठाए। सरकार ने आतंकियों के सफाए और रणनीतिक सफलता का दावा किया।
Monsoon Session: लोकसभा में दो दिन तक चली विशेष बहस के दौरान ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने नजर आए। विपक्ष ने सरकार से सुरक्षा चूक, ऑपरेशन की पारदर्शिता और विदेशी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर जवाब मांगा। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई, भारत की रणनीतिक क्षमता और पिछली सरकारों की नीतियों पर तीखे हमले किए। यह बहस सुरक्षा, कूटनीति और जवाबदेही जैसे मुद्दों को लेकर संसद में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई।
1. पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों का क्या हुआ?
लोकसभा की बहस की शुरुआत इसी सवाल से हुई कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों का क्या हश्र हुआ। विपक्ष के नेताओं—राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव—ने एक सुर में पूछा कि हमला करने वाले आतंकवादी कहां हैं।
इस सवाल का जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने दिया। उन्होंने बताया कि सेना ने "ऑपरेशन महादेव" के तहत पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकियों—सुलेमान, अफगान और जिबरान—को ढेर कर दिया है। शाह ने यह भी कहा कि इन आतंकियों के पाकिस्तानी होने के पुख्ता सबूत सरकार के पास हैं।
2. हमला कैसे हुआ, सुरक्षा में चूक की जिम्मेदारी किसकी?
बहस का दूसरा बड़ा मुद्दा था सुरक्षा व्यवस्था की चूक। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पूछा कि जब खुफिया एजेंसियां पहले से सतर्क थीं, तब आतंकवादी कैसे घाटी में प्रवेश कर पाए।
अमित शाह ने इस पर कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है और वह इससे इनकार नहीं कर रही है। उन्होंने सुरक्षा बलों के साहस और घाटी की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकी घटना के तुरंत बाद सरकार ने तेजी से एक्शन लिया और आतंकियों का सफाया कर दिया गया।
3. ट्रंप का सीजफायर दावा: सच्चाई क्या है?
बहस के दौरान एक अहम सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कथित दावे को लेकर उठा, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया। विपक्ष ने इसे सरकार की विदेश नीति पर सवाल के रूप में उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब देते हुए कहा कि भारत अपनी सुरक्षा के मामलों में किसी विदेशी ताकत के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के घुटने टेकने के बाद ही ऑपरेशन रोका गया, न कि किसी विदेशी दबाव में।
मोदी ने यह भी बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बातचीत हुई थी, लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है—हम किसी भी धमकी से नहीं डरते और कार्रवाई हमारी शर्तों पर होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष मजबूती से रखा।
4. राफेल विमान गिरने पर अस्पष्टता
कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने संसद में दावा किया कि पंजाब में राफेल विमान का हिस्सा गिरा था, जिससे एक व्यक्ति की जान गई और कई लोग घायल हुए। उन्होंने सबूत के तौर पर फोटो भी दिखाए।
हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के सवालों को गैर-राष्ट्रवादी करार देते हुए कहा कि सवाल यह होना चाहिए कि हमारी वायुसेना ने कितने दुश्मनों के ठिकानों को तबाह किया। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी नहीं दी जा सकती।
5. ऑपरेशन सिंदूर का मकसद और उपलब्धि
पीएम मोदी ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की नई आतंकवाद-विरोधी नीति का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को जवाब देने के लिए किया गया और इसमें भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अब आतंकियों और उनके प्रायोजकों में कोई भेद नहीं करेगा।
मोदी ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब भारतीय सेना ने मात्र 22 मिनट में दे दिया। सेना ने आतंकियों के लॉन्चपैड और ट्रैनिंग कैंप को सटीकता से निशाना बनाकर ध्वस्त किया। पीएम मोदी ने इस ऑपरेशन को भारत की रणनीतिक और सैन्य क्षमता का प्रमाण बताया।
6. पीओके क्यों नहीं लिया गया?
विपक्ष ने तर्क दिया कि जब पाकिस्तान घुटनों पर था, तो भारत ने पीओके (PoK) को वापस क्यों नहीं लिया। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य जमीन पर कब्जा करना नहीं, बल्कि पाकिस्तान के आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को खत्म करना था।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग आज पीओके की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले जवाब देना चाहिए कि पीओके पर पाकिस्तान को कब्जा करने का मौका किसकी सरकार ने दिया।
7. नेहरू को लेकर तीखी राजनीतिक बहस
पीएम मोदी ने बहस के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लेते हुए कहा कि आजादी के बाद लिए गए गलत निर्णयों का खामियाजा देश आज तक भुगत रहा है। उन्होंने अकसाई चिन, रण ऑफ कच्छ और करतारपुर जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की नीति को विफल बताया।
मोदी ने कहा कि 1971 की जीत के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को बंदी बनाया और क्षेत्रीय बढ़त हासिल की, तब भी कांग्रेस सरकार ने पीओके को वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया। अमित शाह ने भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जो सवाल पूछ रहे हैं, वे खुद अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहे हैं।