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फोनपे IPO अपडेट: अगस्त 2025 में सेबी को सौंपेगी प्रारंभिक दस्तावेज

फोनपे IPO अपडेट: अगस्त 2025 में सेबी को सौंपेगी प्रारंभिक दस्तावेज

देश की अग्रणी फिनटेक कंपनी फोनपे ने अपने बहुप्रतीक्षित आईपीओ (IPO) की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। डिजिटल भुगतान सेवा प्रदान करने वाली यह कंपनी जल्द ही बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पास प्रारंभिक दस्तावेज यानी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने की तैयारी में है।

भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में अग्रणी भूमिका निभा रही कंपनी फोनपे अब शेयर बाजार में कदम रखने की तैयारी कर रही है। अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट के समर्थन से संचालित यह फिनटेक कंपनी जल्द ही अपना आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव यानी आईपीओ लाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अगस्त 2025 की शुरुआत में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर सकती है।

यह आईपीओ करीब 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) का होगा, जिससे कंपनी की बाजार वैल्यू करीब 15 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह प्रस्ताव भारतीय स्टार्टअप सेक्टर में 2025 के सबसे चर्चित और चर्चित आईपीओ में से एक हो सकता है।

प्रमुख निवेश बैंकर्स से संपर्क

फोनपे ने अपने आईपीओ को सफलतापूर्वक मैनेज करने के लिए देश और दुनिया के कुछ सबसे नामचीन इन्वेस्टमेंट बैंकों से संपर्क किया है। इनमें कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी, जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी, सिटीग्रुप इंक और मॉर्गन स्टेनली जैसे दिग्गज संस्थान शामिल हैं। इन बैंकों को कंपनी की आईपीओ प्रक्रिया का प्रमुख सलाहकार और अंडरराइटर बनाया जाएगा।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि योजना में कुछ बदलाव अभी भी संभव हैं, क्योंकि कंपनी विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। कंपनी के अधिकारियों और संभावित निवेशकों के बीच बातचीत जारी है, ताकि बाज़ार की स्थितियों और वैल्यूएशन के बीच संतुलन बैठाया जा सके।

फोनपे का अब तक का सफर

फोनपे की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी और आज यह भारत की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनियों में से एक बन चुकी है। कंपनी का दावा है कि इसके पास 61 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। इसका यूजर बेस लगातार बढ़ता जा रहा है, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में।

कंपनी के अनुसार, हर दिन इसके प्लेटफॉर्म के माध्यम से 34 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन होता है। वर्ष 2023 में फोनपे ने रिबिट कैपिटल, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट और टीवीएस कैपिटल फंड्स से 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, जिसके बाद कंपनी की वैल्यू 12 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी।

भारत में यूपीआई का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म

यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस आज भारत में डिजिटल भुगतान का प्रमुख माध्यम बन चुका है, और फोनपे इस व्यवस्था का सबसे बड़ा खिलाड़ी है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल यूपीआई ट्रांजैक्शन में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अकेले फोनपे का है।

गूगल पे दूसरे स्थान पर है, जबकि पेटीएम तीसरे स्थान पर आता है। गूगल पे और फोनपे दोनों मिलाकर कुल यूपीआई ट्रांजैक्शन का लगभग 80 प्रतिशत मार्केट शेयर नियंत्रित करते हैं। यह स्थिति फोनपे को डिजिटल फाइनेंशियल सेवाओं के क्षेत्र में अजेय बनाती है।

IPO लाने का उद्देश्य

फोनपे द्वारा आईपीओ लाने के कई उद्देश्य हैं। इनमें कंपनी के विस्तार की योजनाओं को फंड करना, नए प्रोडक्ट्स और सेवाओं को लॉन्च करना, टेक्नोलॉजी में निवेश और संभावित अधिग्रहण शामिल हैं। इसके अलावा, यह आईपीओ कंपनी को पब्लिक मार्केट से पूंजी जुटाने का मौका देगा और लंबे समय से निवेश कर रहे स्टेकहोल्डर्स को एग्जिट या आंशिक मुनाफा बुक करने का अवसर भी मिलेगा।

यह कदम फोनपे को पारदर्शिता, विश्वास और ब्रांड वैल्यू में वृद्धि का भी मौका देगा, जिससे वह देश में वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में और मजबूती से अपनी स्थिति स्थापित कर सकेगी।

स्टार्टअप सेक्टर के लिए बड़ा संकेत

फोनपे का यह कदम भारतीय स्टार्टअप सेक्टर के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। बीते कुछ वर्षों में जहां कुछ बड़ी टेक कंपनियों के आईपीओ को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी, वहीं अब बाजार धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है और निवेशकों का भरोसा फिर से लौट रहा है।

फोनपे के सफल आईपीओ से अन्य यूनिकॉर्न और ग्रोथ स्टेज स्टार्टअप को भी प्रोत्साहन मिलेगा कि वे सार्वजनिक बाजारों का रुख करें। इससे भारत के पूंजी बाजार में विविधता बढ़ेगी और निवेशकों को नई टेक कंपनियों में हिस्सेदारी लेने का अवसर मिलेगा।

वॉलमार्ट के लिए भी महत्वपूर्ण सौदा

फोनपे में अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट का बड़ा निवेश है। इस आईपीओ के जरिए वॉलमार्ट को भी अच्छा खासा रिटर्न मिलने की संभावना है। वॉलमार्ट ने वर्ष 2018 में फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण के दौरान फोनपे में भी हिस्सेदारी हासिल की थी, और उसके बाद से कंपनी ने फोनपे को स्वतंत्र ब्रांड के तौर पर अलग किया।

अब वॉलमार्ट की रणनीति यह है कि वह भारत के तेज़ी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखे और साथ ही निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी दे।

योजनाएं और विस्तार

फोनपे केवल यूपीआई तक सीमित नहीं रहना चाहता। कंपनी बीमा, म्यूचुअल फंड, डिजिटल गोल्ड, क्रेडिट स्कोर चेक, बिल पेमेंट, टैक्स पेमेंट और माइक्रो-क्रेडिट जैसी सेवाओं में भी तेजी से विस्तार कर रही है। इसके अलावा, कंपनी भारत के छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान की मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है।

 

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