पंजाब की राजनीति में एक अहम बदलाव देखने को मिला है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पूर्व नेता और खारड़ के प्रमुख रियल एस्टेट कारोबारी रणजीत सिंह गिल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है। यह घटनाक्रम 1 अगस्त की शाम उस वक्त हुआ जब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर गिल को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
गिल ने इस मौके पर कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह अब पंजाब में बदलाव की राजनीति का हिस्सा बनना चाहते हैं।
रणजीत सिंह गिल का BJP में शामिल होना क्यों मायने रखता है
रणजीत सिंह गिल, जो कभी SAD प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के करीबी माने जाते थे, अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने पहले खारड़ विधानसभा सीट से SAD के टिकट पर चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। इसके बावजूद वह क्षेत्र में एक प्रभावशाली कारोबारी और सामाजिक चेहरा बने रहे।
गिल ने बीजेपी में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वह पंजाब को विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें बीजेपी का मंच सबसे उपयुक्त लगा। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार भी जताया और कहा कि उनकी पहल से ही यह राजनीतिक बदलाव संभव हो पाया।
SAD से नाराजगी बनी पार्टी छोड़ने की वजह
रणजीत सिंह गिल ने SAD छोड़ने के पीछे पार्टी की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में मेहनतकश और जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं की अनदेखी की जा रही थी, जबकि बाहरी लोगों को तरजीह दी जा रही थी। उन्होंने कहा कि पार्टी की निर्णय प्रक्रिया से उन्हें दूर रखा गया और लगातार उपेक्षा झेलने के बाद उन्होंने नया राजनीतिक रास्ता अपनाने का निर्णय लिया।
गिल का कहना है कि वह अब पूरी ताकत के साथ बीजेपी के लिए काम करेंगे और 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
2027 के चुनावों की तैयारी में जुटी BJP
रणजीत सिंह गिल के पार्टी में शामिल होने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि “पंजाब की जनता अब बदलाव चाहती है और इस बार हर घर में कमल खिलेगा।” उनका इशारा साफ था कि बीजेपी अब राज्य में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने के मिशन पर निकल पड़ी है।
गौरतलब है कि 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी प्रमुख दल नए चेहरे जोड़कर और पुराने समीकरणों को तोड़कर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं।