बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक्ट्रेस राखी सावंत और उनके पूर्व पति आदिल दुर्रानी द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायतों को खारिज कर दिया। अदालत ने मामले को बंद करने का फैसला किया, क्योंकि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाद को सुलझा लिया था।
एंटरटेनमेंट न्यूज़: बॉलीवुड अभिनेत्री राखी सावंत और उनके पूर्व पति आदिल दुर्रानी के बीच चल रहे विवाद का अंत हो गया है। दोनों ने आपसी सहमति से अपने मतभेदों को सुलझा लिया है और इसी आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को दोनों की FIR को रद्द कर दिया। राखी सावंत ने अपने एक्स हसबैंड पर धमकी, उत्पीड़न और अन्य गंभीर आरोप लगाए थे। वहीं, आदिल दुर्रानी ने राखी पर अश्लील वीडियो वायरल करने और उनके सामाजिक सम्मान को नुकसान पहुँचाने की धमकी देने का आरोप लगाया था।
कोर्ट का फैसला और आपसी समझौता
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और संदेश पाटिल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, आपसी सहमति से हुए समझौते को देखते हुए, FIR को लंबित रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। FIR और उसके बाद दर्ज आरोपपत्र रद्द किए जाते हैं। अदालत ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि वैवाहिक विवादों के कारण FIR दर्ज की गई थी और अब दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाने के बाद इसे कायम रखने की जरूरत नहीं रही।
इस दौरान कोर्ट में राखी सावंत और आदिल दुर्रानी दोनों उपस्थित थे। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि FIR रद्द करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट में मौजूद होने के दौरान दोनों ने अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का आश्वासन भी दिया। राखी सावंत ने आदिल पर आपराधिक धमकी, उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था। दूसरी ओर, आदिल दुर्रानी ने राखी पर अश्लील वीडियो वायरल करने और छवि को नुकसान पहुँचाने की धमकी देने का आरोप लगाया था।
मामले की पृष्ठभूमि
राखी सावंत और आदिल दुर्रानी का यह विवाद सोशल मीडिया और मीडिया की सुर्खियों में लगातार बना हुआ था। उनके बीच चल रहे मतभेदों के कारण कई कानूनी प्रक्रियाएँ शुरू हुईं। हालांकि, दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत और समझौते के माध्यम से विवाद सुलझाने का निर्णय लिया। इस समझौते के बाद कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि FIR रद्द करने में कोई भी पक्ष आपत्ति नहीं जताता।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में यह संदेश भी दिया कि वैवाहिक और निजी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना सर्वोत्तम तरीका है। कोर्ट ने कहा कि जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से समझौता कर लेते हैं, तो कानूनी कार्रवाई जारी रखने की आवश्यकता नहीं होती।