रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस साल 2025 में रक्षाबंधन शुक्रवार, 8 अगस्त को मनाया जाएगा। पंडितों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि दोपहर 01:42 बजे से शुरू होकर शनिवार, 9 अगस्त को दोपहर 01:24 बजे तक रहेगी। साथ ही इस दिन श्रवण नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है जो रक्षाबंधन को और भी पावन बना रहा है।
इस बार रक्षाबंधन भद्रा काल से भी मुक्त है, यानी राखी बांधने के लिए शुभ समय रहेगा। यह पर्व केवल भाई-बहन का रिश्ता ही नहीं दर्शाता, बल्कि रक्षा के भाव को हर रिश्ते में जोड़ता है। लेकिन सवाल यह है कि अगर किसी के पास भाई नहीं है तो वह किसे राखी बांधे? और अगर किसी के पास बहन नहीं है तो वह किससे राखी बंधवाए? इस विषय में शास्त्रों में क्या कहा गया है, आइए जानते हैं।
जब बहन का कोई भाई न हो
बहन यदि अकेली हो और उसका कोई भाई न हो, तो रक्षाबंधन के दिन वह केवल इस परंपरा से वंचित नहीं रहती। सनातन धर्म में ऐसी स्थिति के लिए भी विशेष व्यवस्था बताई गई है।
भगवान को बांधें राखी
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहा गया है कि यदि किसी बहन का कोई सगा भाई नहीं है तो वह रक्षाबंधन के दिन अपने ईष्टदेव को राखी बांध सकती है। भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधने की परंपरा खुद पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। द्रौपदी ने भी श्रीकृष्ण को रक्षासूत्र बांधा था और श्रीकृष्ण ने उसे चीरहरण के समय रक्षा का वचन निभाया था।
ऐसे में बहनें अपने घर के मंदिर में रखे लड्डू गोपाल, बाल गोपाल, बांके बिहारी या किसी भी भगवान की मूर्ति को राखी बांध सकती हैं। इससे आध्यात्मिक संतोष भी मिलता है और रक्षा का विश्वास भी।
गुरु या आचार्य को भी बांध सकती हैं राखी
शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति हमारे जीवन को सही दिशा दिखाता है, अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, वह गुरु होता है। यदि कोई बहन अपने गुरु या किसी शिक्षक को राखी बांधती है, तो वह भी धार्मिक दृष्टिकोण से सही माना जाता है। गुरु अपने शिष्य की उन्नति और रक्षा की कामना करते हैं, इसीलिए उन्हें राखी बांधना भी रक्षा बंधन का एक श्रेष्ठ रूप है।
सेना के जवान को राखी बांधना भी शुभ
बहनें रक्षाबंधन के दिन सेना या पुलिस के जवानों को भी राखी बांध सकती हैं। क्योंकि सैनिक ही देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं, ऐसे में उन्हें राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेना परंपरा बनती जा रही है। कई शहरों में सामाजिक संस्थाएं और स्कूली छात्राएं भी इस दिन सैनिकों को राखी बांधने जाती हैं।
पवित्र पेड़ों को भी बांधा जा सकता है रक्षासूत्र
अगर बहन का कोई भाई नहीं है और वह अकेली है, तो रक्षाबंधन के दिन धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाने वाले पेड़ों जैसे पीपल, वट वृक्ष, शमी, तुलसी, बेल या केले के पेड़ को राखी बांध सकती हैं। यह परंपरा पर्यावरण की रक्षा और धर्म के प्रति आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
जब किसी भाई की बहन न हो
यदि किसी पुरुष की कोई बहन नहीं है, तो वह भी इस पवित्र पर्व से वंचित नहीं रह सकता। शास्त्रों में ऐसे भाई के लिए रक्षासूत्र बंधवाने के उपाय बताए गए हैं।
गुरु या ब्राह्मण से बंधवाएं राखी
यदि किसी के पास बहन नहीं है तो वह किसी विद्वान ब्राह्मण या अपने गुरु से रक्षासूत्र बंधवा सकता है। इसके लिए वह व्यक्ति रक्षाबंधन के दिन ‘ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल’ मंत्र का उच्चारण करते हुए ब्राह्मण से रक्षासूत्र बंधवा सकता है।
किसी कन्या से राखी बंधवाना भी मान्य
बहुत से स्थानों पर ऐसा देखा गया है कि कोई पुरुष अपने रिश्ते की छोटी बहन, भांजी या पड़ोस की कन्या से भी राखी बंधवाता है। इससे रिश्तों में आत्मीयता आती है और सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।
क्या रक्षाबंधन सिर्फ खून के रिश्ते तक सीमित है?
शास्त्रों में रक्षाबंधन को सिर्फ खून के रिश्ते तक सीमित नहीं माना गया है। यह पर्व एक भावना है, जिसमें रक्षा, प्रेम, समर्पण और विश्वास छुपा होता है। इस भावना के साथ कोई भी किसी को रक्षासूत्र बांध सकता है या बंधवा सकता है, बशर्ते नीयत और भावना पवित्र हो।
सामाजिक संदेश भी देता है यह पर्व
रक्षाबंधन न सिर्फ परिवार के भीतर, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भाईचारे, प्रेम और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है। जब बहनें सैनिकों को राखी बांधती हैं या भाई किसी ब्राह्मण से रक्षासूत्र बंधवाता है, तो यह परंपरा एक बड़े सामाजिक संदेश के रूप में सामने आती है।
राखी बांधने से पहले पूजा की थाली में रोली, चावल (अक्षत), दीपक, मिठाई और राखी रखी जाती है। भाई की कलाई पर तिलक करने के बाद राखी बांधी जाती है और मिठाई खिलाई जाती है। भाई उपहार देकर बहन को सम्मान देता है। यह प्रक्रिया सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ी होती है।