RBI की नई रिपोर्ट के अनुसार, SME IPOs ने लिस्टिंग के दिन निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए, लेकिन लंबी अवधि में उनका प्रदर्शन अस्थिर और टिकाऊ नहीं रहा। रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी, ओवरवैल्यूएशन और युवा निवेशकों की सक्रियता ने अस्थिरता बढ़ाई। SEBI नए नियमों के जरिए स्थिरता लाने की तैयारी कर रहा है।
SME IPOs: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया स्टडी में पाया गया कि छोटी और मझोली कंपनियों (SME) के IPOs लिस्टिंग के समय निवेशकों को उच्च रिटर्न देते हैं, लेकिन छह महीने तक उनका प्रदर्शन अक्सर गिरावट या अस्थिर रहता है। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2024 और 2025 में लिस्ट हुई 100 SME IPOs का विश्लेषण किया गया। रिटेल निवेशकों की भीड़, ओवरवैल्यूएशन और युवा निवेशकों की भागीदारी से अस्थिरता बढ़ रही है। SEBI ने इस सेगमेंट में नए नियम लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।
लिस्टिंग के दिन शानदार रिटर्न, बाद में उतार-चढ़ाव
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, SME IPOs ने लिस्टिंग के पहले दिन निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया। लेकिन इसके बाद इन शेयरों का प्रदर्शन अस्थिर और उतार-चढ़ाव भरा रहा। रिपोर्ट में SME और मेनबोर्ड IPOs के रिटर्न को चार अलग-अलग अवधियों में तुलना की गई है – एक सप्ताह, एक महीना, तीन महीने और छह महीने। पहले सप्ताह में दोनों सेगमेंट का रिटर्न लगभग समान था, लेकिन SME IPOs में उतार-चढ़ाव अधिक देखा गया।
एक महीने की अवधि में कुछ SME IPOs ने ऊंचा रिटर्न दिया, जबकि अन्य में गिरावट आई। तीन महीने बाद मेनबोर्ड IPOs ने स्थिर प्रदर्शन किया, लेकिन SME IPOs में कुछ शेयरों ने बेहद उच्च रिटर्न दिया। छह महीने बाद स्थिति बदल गई, अधिकांश मेनबोर्ड IPOs ने सीमित लेकिन स्थिर रिटर्न दिखाया, जबकि SME IPOs में कई शेयर नेगेटिव रिटर्न तक पहुंच गए।
रिटेल निवेशकों की बढ़ती भीड़ और ओवरवैल्यूएशन
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि SME IPOs में रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी लिस्टिंग के समय कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ा देती है। सीमित शेयरों का आवंटन और अधिक मांग के कारण P/E रेशियो इंडस्ट्री औसत से ऊपर चला जाता है। वित्त वर्ष 2024 और 2025 में लिस्टेड 100 SME IPOs में लगभग 20% शेयरों के वैल्यूएशन अपने इंडस्ट्री औसत से काफी अधिक पाए गए। RBI ने कहा कि निवेशक त्वरित लाभ कमाने की उम्मीद में कंपनियों की फंडामेंटल्स और वित्तीय स्थिति की अनदेखी कर देते हैं।
युवा निवेशक बढ़ा रहे जोखिम

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि युवा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी SME शेयरों में अस्थिरता को और बढ़ा रही है। NSE के आंकड़ों के अनुसार, 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की हिस्सेदारी अब 39% तक पहुंच चुकी है, जबकि साल 2019 में यह केवल 22.6% थी। निवेशकों की औसत आयु घटकर 33 वर्ष हो गई है। डिजिटल रूप से सक्षम युवा निवेशक और लॉक-इन नियमों की कमी ने SME शेयरों में सट्टा व्यवहार को बढ़ावा दिया है।
SEBI ने उठाए नियामकीय कदम
अस्थिरता और सट्टेबाजी को देखते हुए SEBI ने SME IPO सेगमेंट में कई नियम बनाए हैं। इसका उद्देश्य कीमतों में स्थिरता लाना और सुनिश्चित करना है कि कंपनियों का वैल्यूएशन उनके वास्तविक बिजनेस प्रदर्शन के अनुरूप हो।
महाराष्ट्र और गुजरात में SME लिस्टिंग का दबदबा
पिछले दो वित्त वर्षों में महाराष्ट्र SME लिस्टिंग में सबसे आगे रहा। इसके बाद गुजरात और दिल्ली का स्थान रहा। मजबूत इंडस्ट्रियल बेस, विविध व्यापारिक ढांचा और राज्य सरकार की सहायक नीतियां इसकी प्रमुख वजह रही। तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्य SME फंडरेजिंग को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं चला रहे हैं, जिससे उद्यमशीलता और औपचारिक अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।












