तीसरी तिमाही 2025 में भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 3% की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसमें कुल 4.84 करोड़ यूनिट्स शिप हुईं। वीवो ने बाज़ार में बढ़त बनाए रखी, जबकि एप्पल ने छोटे शहरों से मजबूत मांग के साथ टॉप-5 में वापसी की। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि चैनल पुशिंग के कारण स्टॉक तो बढ़ा, लेकिन वास्तविक ग्राहक मांग सीमित है।
India smartphone market sales: त्योहारी मौसम के दौरान भारतीय स्मार्टफोन बाजार में शिपमेंट में मामूली वृद्धि देखी गई, जुलाई-सितंबर 2025 में कुल 4.84 करोड़ यूनिट्स वितरकों तक पहुंची। वीवो ने 97 लाख यूनिट्स के साथ बाज़ार में दबदबा बनाए रखा, वहीं एप्पल ने 49 लाख यूनिट्स शिप कर टॉप-5 में मजबूत वापसी की। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह तेजी कंपनियों की चैनल पुशिंग और त्योहारी ऑफर्स के कारण आई है, असली ग्राहक मांग अभी भी सीमित है, जिससे Q4 में इन्वेंट्री बढ़ने का खतरा है।
वीवो ने मारी बाज़ार में धाक
Q3 में वीवो ने कुल 97 लाख यूनिट्स शिप कर कुल बाजार का 20 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया। यह कंपनी की मिड-रेंज और बजट सेगमेंट में मजबूत पकड़ को दर्शाता है। सैमसंग 68 लाख यूनिट्स शिप करके दूसरे स्थान पर रहा, जबकि शाओमी और ओप्पो ने 65-65 लाख यूनिट्स भेजे। शाओमी ने मामूली अंतर से ओप्पो को पीछे छोड़ा।
एप्पल की बड़ी वापसी
इस तिमाही की सबसे बड़ी खबर एप्पल की शानदार वापसी रही। कंपनी ने 49 लाख यूनिट्स शिप की, जो भारत में किसी भी तिमाही में अब तक की सबसे अधिक शिपमेंट है। इसके साथ ही एप्पल को 10 प्रतिशत बाज़ार हिस्सेदारी मिली। ओम्डिया के प्रमुख विश्लेषक संयम चौरसिया के अनुसार, यह बढ़त मुख्य रूप से छोटे शहरों की ओर से आई है, जहां आईफोन के लिए अलग तरह की चाहत देखी जा रही है।
छोटे शहरों में आईफोन की बिक्री अधिकतर पुराने मॉडल जैसे आईफोन 16s और 15s पर आधारित रही। इन मॉडलों को भारी डिस्काउंट और त्योहारी ऑफर्स के साथ बेचा गया। वहीं, आईफोन 17 के बेस मॉडल ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, खासकर उन ग्राहकों ने खरीदा जो आईफोन 12 से 15 सीरीज़ से अपग्रेड कर रहे थे।
चैनल पुशिंग और ऑफर्स का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तिमाही की बिक्री असली ग्राहकों की मांग के बजाय कंपनियों की आक्रामक चैनल पुशिंग का नतीजा है। कंपनियों ने रिटेलरों को लुभाने के लिए नकद बोनस, टियर-आधारित मार्जिन, सोने के सिक्के, बाइक और विदेश यात्रा जैसे इनाम दिए। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ज़ीरो-डाउन-पेमेंट ईएमआई, मुफ्त एक्सेसरीज़ और वारंटी बढ़ाने जैसी योजनाएँ चलाई गईं। इन सभी उपायों ने दुकानों में तेजी से स्टॉक जमा किया, लेकिन ग्राहक उतनी रफ्तार से फोन नहीं खरीद रहे।
शहरी और ग्रामीण मांग में अंतर
संयम चौरसिया के अनुसार, शहरी उपभोक्ता रोज़गार की अनिश्चितताओं और महंगाई के चलते फोन अपग्रेड करने में देरी कर रहे हैं। वहीं, ग्रामीण मांग स्थिर है, लेकिन यह शहरी बाजार की सुस्ती की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
चौथी तिमाही में जोखिम
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में बिना बिके स्टॉक का खतरा बढ़ सकता है। चैनल पुशिंग से पैदा हुई यह तेजी साल के अंत तक टिकना मुश्किल है। Q4 में इन्वेंट्री जमा होने का जोखिम कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
साल 2025 का कुल परिदृश्य
ओम्डिया की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे 2025 में स्मार्टफोन बाजार में मामूली गिरावट की संभावना है। यह संकेत देता है कि बाजार की रिकवरी नाज़ुक है और आर्थिक हालात और चैनल करेक्शन पर काफी निर्भर करेगी। कंपनियों के लिए चुनौती यह है कि वे उत्पादन और वितरण रणनीति को वास्तविक ग्राहक मांग के अनुसार समायोजित करें।