संभल में 24 नवंबर 2024 की हिंसा पर तैयार 450 पन्नों की रिपोर्ट में दंगे को पूर्वनियोजित बताया गया है। रिपोर्ट में हिंसा के कारण, प्रशासन की भूमिका और भविष्य के लिए सुझाव शामिल हैं। इसे पहले राज्य कैबिनेट में रखा जाएगा।
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा पर तैयार करीब 450 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है। यह रिपोर्ट पहले राज्य कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएगी। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे आगामी विधानसभा सत्र में सदन में रखा जाएगा। रिपोर्ट में हिंसा के पूर्वनियोजन, प्रशासनिक चूक और खुफिया विफलताओं को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट में हिंसा की पूरी घटनाक्रम, प्रभावित क्षेत्र, पीड़ितों की संख्या और प्रशासनिक प्रतिक्रिया का विस्तृत विवरण शामिल है। इसमें यह भी बताया गया है कि हिंसा के पीछे साम्प्रदायिक और राजनीतिक साजिश की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
संभल क्षेत्र में हिंदू आबादी में गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि संभल नगरपालिका क्षेत्र की हिन्दू आबादी 1947 में 45% थी, जो 2025 में घटकर 15% रह गई। यानी पिछले 78 सालों में करीब 30 फीसदी हिंदू जनसंख्या घट चुकी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि संभल क्षेत्र आतंकियों और अवैध गतिविधियों का अड्डा बन चुका है, और आजादी के बाद से यहां कुल 15 दंगे हो चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 24 नवंबर की हिंसा पूर्वनियोजित और षड्यंत्रपूर्ण थी। इसे सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, विधायक के पुत्र सुहैल इक़बाल और जामा मस्जिद की इंतेज़ामिया कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा रची गई साजिश माना गया है।
सर्वे की जानकारी लीक होने से हिंसा भड़ी
रिपोर्ट में उल्लेख है कि हिंसा के पीछे की वजहों में सर्वे की जानकारी का लीक होना भी शामिल है। प्रशासन ने संभल जामा मस्जिद के प्रबंधन को सर्वे की सूचना दी थी, जिससे वहां अवैध हथियार और नशीले पदार्थों का अड्डा बन गया। यही जगह हिंसा का मुख्य केंद्र बनी।
रिपोर्ट में पिछले दंगों की तिथियां, जनहानि, प्रशासनिक कार्रवाई और दंगे के बाद की स्थिति का पूर्ण विवरण शामिल है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि हिंसा में शामिल कुछ व्यक्ति पहले भी स्थानीय स्तर पर विवादों में रहे हैं।
सांसद और अन्य नेताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप
रिपोर्ट के अनुसार, 22 नवंबर 2024 को सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने नमाजियों को संबोधित करते हुए भड़काऊ भाषण दिया। उन्होंने कहा कि "हम इस देश के मालिक हैं…अरे हम नौकर, गुलाम नहीं हैं। मस्जिद थी, मस्जिद है और रहेगी। अयोध्या की तरह यहां ऐसा नहीं होने देंगे।"
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि सांसद, विधायक के पुत्र और मस्जिद की इंतेज़ामिया कमेटी के पदाधिकारी हिंसा को भड़काने में मुख्य भूमिका में थे। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि भाषण के दौरान भीड़ को उकसाने और प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना करने की योजना बनाई गई थी।
संभल हिंसा में प्रशासन की चूक
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि हिंसा के दौरान प्रशासन और खुफिया तंत्र की गंभीर चूक हुई। समय रहते चेतावनी और सुरक्षा इंतजाम न होने के कारण भीड़ ने हिंसक कदम उठाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा और निगरानी बढ़ाई होती, तो हिंसा और जनहानि को काफी हद तक रोका जा सकता था। रिपोर्ट में भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सख्त प्रशासनिक कदम, सुरक्षा बढ़ाना और समुदायिक संवाद के सुझाव भी दिए गए हैं।