नील कत्याल ने सुप्रीम कोर्ट में डोनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को चुनौती दी। सुनवाई 5 नवंबर से होगी। यह केस राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा और अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों पर असर डाल सकता है।
America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। वहीं, अब इस टैरिफ नीति को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है।
इस मामले की सुनवाई आज 5 नवंबर से शुरू होगी। भारतीय-अमेरिकी वकील नील कत्याल इस सुनवाई में ट्रंप के खिलाफ पैरवी करेंगे। यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें तय होना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने की शक्ति कितनी है और अमेरिका की व्यापार नीति का नियंत्रण भविष्य में किसके पास रहेगा।
चुनौती क्या है?
इस मामले में चुनौती यह है कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (International Emergency Economic Powers Act, IEEPA) का दुरुपयोग किया है। यह अधिनियम राष्ट्रपति को विदेशी संकटों के दौरान आर्थिक और व्यापारिक निर्णय लेने का अधिकार देता है।
नील कत्याल के अनुसार, ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ अमेरिका की संविधानिक व्यापार शक्ति और नियमों के खिलाफ हैं। सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई तय करेगी कि राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा कितनी है और क्या उन्होंने कानून का दुरुपयोग किया है।
ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth पर पोस्ट किया कि अगर यह केस हार गया, तो अमेरिका का दर्जा “लगभग तीसरी दुनिया के देशों जैसा” हो जाएगा। उन्होंने लिखा कि वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा न हो।

कौन हैं नील कत्याल?
नील कत्याल (Neal Katyal) अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने वाले प्रमुख भारतीय-अमेरिकी वकील हैं। वे अमेरिका के पूर्व कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल (Acting Solicitor General) भी रह चुके हैं। कत्याल वर्तमान में वाशिंगटन मिलबैंक एलएलपी (Washington Milbank LLP) में पार्टनर हैं।
उनका व्यवसाय विशेष रूप से पेटेंट, प्रतिभूति, आपराधिक, रोजगार और संविधानिक मामलों पर केंद्रित है। कत्याल ने अब तक 52 सुप्रीम कोर्ट केसों में पैरवी की है, और उनके 53वां और 54वां मुकदमा अगले साल जनवरी में निर्धारित हैं।
नील कत्याल ने जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर में लगभग 20 साल तक पढ़ाया और कम उम्र में अध्यक्षीय प्रोफेसर (Presidential Professor) का पद प्राप्त किया। इसके अलावा, वे हार्वर्ड और येल लॉ स्कूल में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं। साल 2011 में उन्हें अमेरिकी न्याय विभाग का सर्वोच्च नागरिक सम्मान एडमंड रैंडोल्फ पुरस्कार (Edmund Randolph Award) भी मिला।
ट्रंप के टैरिफ का विवाद
अमेरिका की टैरिफ नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बड़े बदलाव ला रही है। ट्रंप ने कई देशों पर आयात शुल्क लगाया है, जिससे अमेरिका की घरेलू उद्योगों को फायदा पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह नीति अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती है और अमेरिकी संविधान के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का दुरुपयोग है।
नील कत्याल के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में यह मामला यह तय करेगा कि राष्ट्रपति टैरिफ लगाने में कितनी स्वतंत्रता रखते हैं और क्या वे इस अधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सुनवाई का नतीजा अमेरिका की व्यापार नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर डाल सकता है।













