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UP Election: 2027 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए BSP का मास्टर प्लान, पंचायत चुनाव से मजबूत होगी नींव

UP Election: 2027 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए BSP का मास्टर प्लान, पंचायत चुनाव से मजबूत होगी नींव

बसपा ने 2027 विधानसभा चुनाव को लक्ष्य बनाते हुए पंचायत चुनाव में पूरी ताकत झोंकने की रणनीति बनाई है। अंबेडकरनगर में गढ़ वापस पाने की कोशिश के तहत सम्मेलन और बैठकों के जरिए संगठन को मजबूत किया जा रहा है।

UP Election: बहुजन समाज पार्टी (BSP) अब पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो गई है। पार्टी का फोकस केवल पंचायत चुनाव जीतने पर नहीं बल्कि इसके जरिए 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी पर है। अंबेडकरनगर में अपनी खोई पकड़ को दोबारा हासिल करने के लिए BSP बूथ स्तर तक सक्रिय हो रही है। यही कारण है कि पार्टी के नेता लगातार बैठकों और जनसंपर्क अभियानों में जुटे हैं।

कांशीराम की पुण्यतिथि पर महासम्मेलन की तैयारी

आगामी 9 अक्टूबर को लखनऊ में BSP संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक विशाल महासम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विधानसभावार बैठकें की जा रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल खुद हर बैठक में मौजूद रह रहे हैं। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ रहा है और पार्टी को एकजुट करने की कोशिश हो रही है। BSP का मानना है कि यही संगठनात्मक ताकत पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक मदद करेगी।

अंबेडकरनगर: कभी BSP का गढ़, अब सपा और भाजपा का दबदबा

अंबेडकरनगर को लंबे समय तक BSP का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन बीते कुछ चुनावों में पार्टी यहां कमजोर साबित हुई है। वर्तमान में पांच विधानसभा सीटों में से चार पर सपा का कब्जा है और एक सीट भाजपा के पास है। 2017 में BSP के पास तीन सीटें थीं जबकि भाजपा के पास दो सीटें थीं। लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में BSP अपनी सभी सीटें हार गई।

2019 लोकसभा चुनाव में BSP के रितेश पांडेय ने जीत दर्ज की थी। मगर उसके बाद हालात बदले और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। एक बड़ा कारण यह रहा कि विधानसभा चुनाव से पहले BSP के कद्दावर नेता लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, त्रिभुवन दत्त और धर्मराज निषाद ने पार्टी छोड़कर दूसरे दलों का दामन थाम लिया। इससे BSP की पकड़ ढीली हो गई।

पंचायत चुनाव से वापसी की रणनीति

अब BSP ने तय किया है कि पंचायत चुनाव को पूरी ताकत से लड़ा जाएगा। पार्टी का मानना है कि पंचायत स्तर पर जितनी अधिक सीटें जीतेंगी, उतना ही विधानसभा चुनाव में फायदा होगा। इसी रणनीति के तहत पार्टी नेताओं को जनता के बीच भेजा जा रहा है। हाल ही में BSP ने सभी विधानसभाओं में सम्मेलन आयोजित किए और कार्यकर्ताओं के साथ बूथ स्तर की बैठकें कीं। उद्देश्य साफ है—2027 में सत्ता में वापसी।

प्रदेश अध्यक्ष की सक्रियता से बढ़ा उत्साह

BSP प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल लगातार हर जिले और विधानसभा में जा रहे हैं। वे स्वयं बैठकों में शामिल होकर कार्यकर्ताओं को दिशा दे रहे हैं। इससे कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ रहा है। उनका कहना है कि पंचायत चुनाव केवल स्थानीय स्तर का चुनाव नहीं बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव की नींव है। यही वजह है कि कार्यकर्ता अब और मजबूती से जुटे हैं।

BSP का मिशन: जनता तक सीधी पहुंच

BSP नेता इन दिनों लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। गांव-गांव जाकर जनता से मुलाकात हो रही है। स्थानीय समस्याओं पर चर्चा हो रही है और जनता से भरोसा मांगा जा रहा है। पार्टी का जोर इस बात पर है कि केवल चुनावी मौसम में नहीं बल्कि लगातार जनता के बीच उपस्थिति बनी रहे। यही तरीका BSP को अपने पुराने गढ़ में दोबारा मजबूत कर सकता है।

BSP की चुनौतियां

हालांकि BSP के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अंबेडकरनगर और आसपास के क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी का मजबूत जनाधार है। भाजपा ने भी हाल के उपचुनाव में एक सीट जीती है। ऐसे में BSP को न केवल जनता का विश्वास दोबारा हासिल करना होगा बल्कि पुराने नेताओं के जाने से बने खालीपन को भी भरना होगा। पार्टी के लिए यह आसान नहीं है, लेकिन पंचायत चुनाव से संगठन को मजबूत करने की कोशिश इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी हलचल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंचायत चुनाव केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं होते। इन चुनावों का सीधा असर विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर पड़ता है। BSP यही सोचकर पंचायत चुनाव को बड़ी गंभीरता से ले रही है। अगर पार्टी पंचायत स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करती है तो 2027 में उसका ग्राफ ऊपर जा सकता है।

महासम्मेलन से दिखेगी ताकत

9 अक्टूबर का लखनऊ महासम्मेलन BSP के लिए एक तरह से पावर शो होगा। पार्टी यहां अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी और यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह 2027 की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार है। जिलाध्यक्ष सुनील सावंत का कहना है कि पंचायत चुनाव में पार्टी पूरे दमखम से प्रत्याशी उतारेगी और विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी।

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