IPS आशीष गुप्ता के VRS को लेकर यूपी में सियासत गरमाई। अखिलेश यादव बोले—वरिष्ठ अफसरों को नजरअंदाज करना चिंता का विषय, मनचाही पोस्टिंग के लिए हो रहा भेदभाव।
UP News: उत्तर प्रदेश कैडर के 1989 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अफसर आशीष गुप्ता द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने के फैसले ने सूबे की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। हालांकि तकनीकी रूप से यह VRS है, लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे "अनैच्छिक परिस्थितियों में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति" करार दिया है।
अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, "यह बेहद चिंताजनक है कि प्रदेश पुलिस के वरिष्ठतम अधिकारी, जिन्हें महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखा गया, उन्हें मजबूरी में रिटायरमेंट लेना पड़ रहा है। इससे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है, जिसका असर सीधे तौर पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और आम जनता पर पड़ता है।"
वरिष्ठता की अनदेखी का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में वरिष्ठता के आधार पर पदस्थापन की परंपरा समाप्त कर दी गई है। उन्होंने कहा, "जब सरकार को वरिष्ठ और कनिष्ठ के बीच फर्क ही नहीं करना है, तो फिर वरिष्ठता सूची का क्या औचित्य रह जाता है? अगर 1-2 स्थानों पर फेरबदल होता तो समझ में आता, लेकिन जब 10-12 स्थान तक वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर मनपसंद अफसर तैनात किए जाते हैं, तो यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया निर्णय लगता है।"
निजी पसंद और विचारधारा पर आधारित नियुक्तियां?
अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिए सरकार पर आरोप लगाया कि नियुक्तियों का आधार योग्यता, अनुभव और पद की आवश्यकताओं के बजाए किसी की निजी पसंद, विचारधारा या सत्ता के अंदरूनी समीकरण बन गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को यह रवैया तुरंत बदलना चाहिए, वरना इससे पूरी अफसरशाही का मनोबल गिरेगा और शासन व्यवस्था प्रभावित होगी।
VRS की पृष्ठभूमि: आशीष गुप्ता का करियर और विवाद
आशीष गुप्ता 1989 बैच के आईपीएस अफसर हैं और डीजी रैंक पर तैनात थे। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश में DG रूल्स एंड मैन्युअल के पद पर कार्यरत हैं। लंबे समय तक केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद जब वे राज्य लौटे, तो उन्हें छह महीने तक कोई पोस्टिंग नहीं दी गई। बाद में DG रूल्स एंड मैन्युअल जैसे अपेक्षाकृत गैर-महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया।
NATGRID और BSF में कार्यकाल
वर्ष 2014 में आशीष गुप्ता को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर NATGRID भेजा गया था। वहां वे ADG पद पर करीब आठ वर्षों तक तैनात रहे। लेकिन 2022 में अचानक उन्हें वहां से हटा दिया गया और BSF में भेजा गया। इसके छह महीने बाद उन्हें राज्य वापस बुला लिया गया। चर्चा यह भी है कि उन्होंने NATGRID में अधिकारियों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में कुछ टिप्पणी की थी, जिसे सरकार ने गंभीरता से लिया और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
मनचाही पोस्टिंग न मिलने से नाराजगी
सूत्रों की मानें तो आशीष गुप्ता राज्य में अपने अनुभव और वरिष्ठता के अनुरूप पद की अपेक्षा कर रहे थे, लेकिन उन्हें अपेक्षा के अनुसार जिम्मेदारी नहीं दी गई। यही कारण है कि उन्होंने दो महीने पहले VRS की अर्जी दी थी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। वे जून 2025 में रिटायर हो जाएंगे।
बीजेपी सरकार पर अधिकारियों को प्रताड़ित करने का आरोप
अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि बीजेपी सरकार चुनिंदा अधिकारियों को टारगेट करती है, और उन्हें या उनके परिवार को सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने कहा, "यह चलन बंद होना चाहिए। अगर बीजेपी ईमानदारी को पुरस्कार नहीं दे सकती तो कम से कम तिरस्कार भी न करे।"