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IAF Jaguar क्रैश में दो पायलट शहीद: ट्रेनिंग मिशन बना अंतिम उड़ान, जानिए कौन थे ये वीर अफसर

IAF Jaguar क्रैश में दो पायलट शहीद: ट्रेनिंग मिशन बना अंतिम उड़ान, जानिए कौन थे ये वीर अफसर

राजस्थान के चुरू जिले में बुधवार को भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट रूटीन ट्रेनिंग मिशन के दौरान हादसे का शिकार हो गया। यह दुर्घटना चुरू के भाणुदा बीदावतान गांव के पास उस वक्त हुई, जब विमान ने उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद तकनीकी गड़बड़ी के चलते नियंत्रण खो दिया। हादसा इतना भयावह था कि विमान पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गया और उसमें सवार दोनों पायलटों की मौके पर ही मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही वायुसेना और स्थानीय प्रशासन की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं, लेकिन तब तक देश ने अपने दो जांबाज़ पायलटों को खो दिया था। वायुसेना ने हादसे की पुष्टि करते हुए इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं ताकि दुर्घटना की असल वजह का पता लगाया जा सके।

कौन थे ये जांबाज़ पायलट

हादसे के कुछ घंटों बाद मृत पायलटों की पहचान सार्वजनिक की गई। इस दुर्घटना में स्क्वाड्रन लीडर लोकेन्द्र सिंह सिंधु (44) और फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषि राज सिंह (23) की जान चली गई। स्क्वाड्रन लीडर सिंधु हरियाणा के रोहतक जिले से ताल्लुक रखते थे, जबकि फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिंह राजस्थान के पाली जिले के निवासी थे। दोनों पायलटों को वायुसेना में कुशल, समर्पित और अनुशासित अधिकारी के रूप में जाना जाता था।

हादसे के बाद विमान का मलबा एक खेत में बिखरा पड़ा मिला, लेकिन राहत की बात रही कि इस क्रैश में किसी भी नागरिक या संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा। सुरक्षा बलों ने तुरंत इलाके को सील कर लिया और सुरक्षात्मक कार्रवाई शुरू कर दी।

मंत्री राठौर ने जताया शोक

कैबिनेट मंत्री और पूर्व सैन्य अधिकारी राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने दोनों शहीद पायलटों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह घटना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वायुसेना ने भी अपने आधिकारिक बयान में कहा कि जगुआर प्रशिक्षक विमान एक नियमित प्रशिक्षण मिशन पर था, जब तकनीकी कारणों से वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

वायुसेना ने बयान में कहा, "इस हादसे में दोनों पायलटों को गंभीर चोटें आईं और उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। वायुसेना इस दुखद घड़ी में शोकाकुल परिवारों के साथ खड़ी है।" साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि हादसे में किसी नागरिक या संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ।

इस साल तीसरी बार क्रैश हुआ जगुआर

चुरू में हुआ यह हादसा 2025 में तीसरी बार हुआ जगुआर क्रैश है। इससे पहले 7 मार्च को हरियाणा के पंचकूला और 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। तीन महीने में लगातार हुए ये हादसे वायुसेना की जगुआर फ्लीट की तकनीकी स्थिति और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल करीब 120 जगुआर फाइटर जेट मौजूद हैं, जो देशभर में छह स्क्वाड्रनों में तैनात हैं। इन विमानों का इस्तेमाल मुख्य रूप से ट्रेनिंग मिशनों और कम ऊंचाई से किए जाने वाले हमलों के लिए किया जाता है।

अब भी क्यों चल रहे हैं ये पुराने विमान

जगुआर विमान 1979 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किए गए थे। उस समय इन्हें आधुनिक बमवर्षकों के रूप में माना जाता था, जो कम ऊंचाई से दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने में सक्षम थे। लेकिन अब ये विमान तकनीकी रूप से पुराने हो चुके हैं।

ब्रिटेन, फ्रांस, ओमान, इक्वाडोर और नाइजीरिया जैसे देश, जो पहले जगुआर का इस्तेमाल करते थे, इन्हें कई साल पहले ही रिटायर कर चुके हैं। भारत फिलहाल अकेला ऐसा देश है जो अब भी इन विमानों का संचालन कर रहा है।

हालांकि, बीते वर्षों में वायुसेना ने इन विमानों में कई तकनीकी अपग्रेड किए हैं, फिर भी समय-समय पर इंजन फेल्योर और तकनीकी खराबी जैसे मुद्दे सामने आते रहे हैं। पिछले हादसों की जांच रिपोर्टों में भी यही बात सामने आई थी कि इंजन की खराबी इन क्रैश की बड़ी वजह रही है।

अब आगे क्या

चुरू हादसे के बाद एक बार फिर से यह बहस तेज हो गई है कि क्या भारतीय वायुसेना को अपने बेड़े से इन पुराने फाइटर जेट्स को हटाने का समय आ गया है? कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की जांच रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि इस बार की दुर्घटना के पीछे क्या वजह थी — तकनीकी गड़बड़ी, मानवीय भूल या कोई अन्य कारण।

फिलहाल, देश ने अपने दो और जांबाज़ पायलट खो दिए हैं, जिन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण गंवाए। वायुसेना ने भरोसा दिलाया है कि शहीद पायलटों के परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी और हादसे की पूरी सच्चाई सामने लाई जाएगी।

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