हरी ऊर्जा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (WRTL) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 293 करोड़ रुपये के अधिग्रहण सौदे से खुद को अलग कर लिया है। यह सौदा कामथ ट्रांसफॉर्मर्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण से जुड़ा था, जिसकी घोषणा 19 मई को की गई थी। उस समय कंपनी ने जानकारी दी थी कि वह 100 प्रतिशत हिस्सेदारी कैश के बदले खरीदेगी। लेकिन अब कंपनी ने साफ किया है कि तय समय सीमा के भीतर अंतिम समझौते की शर्तों पर सहमति नहीं बन सकी, इसलिए यह डील रद्द कर दी गई है।
बाजार में शेयर ने दिखाया दबाव
इस खबर का असर वारी एनर्जी के शेयर पर साफ देखने को मिला। गुरुवार को बीएसई पर कंपनी का शेयर 1.62 प्रतिशत टूटकर 1184.05 रुपये पर बंद हुआ। जबकि इसने दिन की शुरुआत 1233.85 रुपये पर की थी। इससे पहले बुधवार को शेयर 1203.50 रुपये पर बंद हुआ था। डील के रद्द होने के चलते निवेशकों के बीच थोड़ी बेचैनी देखी गई, जिसका सीधा असर शेयर की कीमत पर पड़ा।
कंपनी का तिमाही प्रदर्शन रहा शानदार
डील रद्द होने की खबर भले ही शेयर बाजार में हलचल लेकर आई हो, लेकिन कंपनी के तिमाही नतीजे काफी दमदार रहे हैं। वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने जून 2025 में समाप्त पहली तिमाही में 207 प्रतिशत की बढ़त के साथ 86.38 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया है। पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी का मुनाफा मात्र 28.16 करोड़ रुपये था।
राजस्व में भी बड़ी छलांग
फायदे के साथ-साथ कंपनी के कुल राजस्व में भी तगड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वारी एनर्जी का ऑपरेशनल कंसोलिडेटेड रेवेन्यू 603 करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मात्र 236 करोड़ रुपये था। यानी लगभग 155 प्रतिशत की उछाल। इस बढ़त का मुख्य कारण कंपनी के EPC प्रोजेक्ट्स की तेजी से बढ़ती डिमांड और बिजली की मजबूत बिक्री रही है।
वारी एनर्जी की कारोबारी पहचान
वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड देश की प्रमुख सौर ऊर्जा कंपनियों में से एक मानी जाती है। यह कंपनी सोलर पैनल बनाने के साथ-साथ रूफटॉप सिस्टम्स और बड़े EPC प्रोजेक्ट्स का भी निर्माण करती है। इसके अलावा कंपनी अपने ग्राहकों को ऊर्जा से जुड़े इनोवेटिव सॉल्यूशन्स भी देती है, जो ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
अधिग्रहण क्यों था जरूरी?
वरी एनर्जी द्वारा कामथ ट्रांसफॉर्मर्स को खरीदने का उद्देश्य अपने ऊर्जा क्षेत्र में सप्लाई चेन को मजबूत करना और तकनीकी रूप से खुद को और अधिक सक्षम बनाना था। ट्रांसफॉर्मर मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता जोड़ने से कंपनी को ग्रिड कनेक्टिविटी और पॉवर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में और अधिक ताकत मिलती। लेकिन अंतिम स्तर पर जाकर यह सौदा फाइनल नहीं हो सका।
डील टूटने के पीछे की वजहें
कंपनी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार, दोनों पक्ष तय समय के भीतर अधिग्रहण की शर्तों को अंतिम रूप नहीं दे सके। इसमें डील की वैल्यूएशन, भुगतान की प्रक्रिया और रेगुलेटरी अप्रूवल जैसी चीजों पर सहमति नहीं बन सकी। नतीजतन, यह सौदा आगे नहीं बढ़ाया गया।
निवेशकों में हलचल
डील के रद्द होने की खबर के बाद बाजार में वारी एनर्जी को लेकर निवेशकों की धारणाओं में कुछ बदलाव आया है। हालांकि कंपनी की मजबूत तिमाही परफॉर्मेंस निवेशकों के लिए भरोसा बनाए रखने की एक बड़ी वजह है, लेकिन अधिग्रहण जैसे बड़े प्लान के रुक जाने से अल्पकालिक उतार-चढ़ाव संभव है।
ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में बनी हुई है पकड़
वारी एनर्जी का बिजनेस मॉडल पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी पर केंद्रित है। कंपनी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी मानी जाती है और भारत के अलावा इंटरनेशनल मार्केट में भी इसके प्रोजेक्ट्स हैं। कंपनी लगातार EPC प्रोजेक्ट्स, सोलर पैनल उत्पादन और ग्रीन टेक्नोलॉजी में निवेश कर रही है।