Karwa Chauth 2025: प्रेमानंद महाराज ने बताया व्रत और पति की लंबी आयु का सच

Karwa Chauth 2025: प्रेमानंद महाराज ने बताया व्रत और पति की लंबी आयु का सच

करवा चौथ 2025 पर पति की लंबी आयु को लेकर आस्था और परंपराओं पर बहस तेज है। प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि व्रत या पूजा किसी की मृत्यु को नहीं रोक सकती। यह केवल मानसिक संतोष, वैवाहिक समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव के लिए अपनाया जाता है।

Karwa Chauth: देशभर में आज सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, लेकिन पति की आयु बढ़ाने से जुड़े विश्वास पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है। उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध साधु प्रेमानंद महाराज ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में कहा कि कोई भी व्रत या पूजा किसी व्यक्ति की मृत्यु को नहीं रोक सकती। उन्होंने बताया कि यह केवल मानसिक संतोष, पारिवारिक समर्पण और वैवाहिक रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने के लिए होता है। महिलाएं इसे आस्था और परंपरा के रूप में रखती हैं, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आयु बदलना संभव नहीं है।

सुभीते में भरा आस्था और परंपरा का पर्व

देशभर की सुहागिन महिलाएं आज करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख के लिए रखा जाता है। इस साल 2025 का करवा चौथ विशेष रूप से आस्था और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने करवा चौथ व्रत और पति की आयु के बीच संबंध पर अपनी बात साझा की है।

व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह महिलाओं के लिए प्रेम, समर्पण और वैवाहिक जीवन में समृद्धि का प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। यह दिन भावनात्मक जुड़ाव और पति के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होने का कोई वैज्ञानिक या ज्योतिषीय प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सब लोक परंपराओं और मान्यताओं का हिस्सा है। कोई भी व्रत या पूजा किसी व्यक्ति की मृत्यु को टाल नहीं सकता। विधाता पहले ही किसी की आयु निर्धारित कर देते हैं। व्रत, अनुष्ठान और पूजा केवल छोटे-मोटे संकटों को दूर करने या मानसिक और भावनात्मक शांति देने में मदद कर सकते हैं।

मृत्यु और कर्मकांड का संबंध

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि मृत्यु किसी पूजा, अनुष्ठान या व्रत से नहीं रोकी जा सकती। उनका कहना है कि केवल महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से ही विशेष परिस्थितियों में संकट को टाला जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर मृत्यु निश्चित है, तो उसे कोई कर्मकांड या अनुष्ठान नहीं बदल सकता।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि व्रत रखने वाले व्यक्ति या परिवार के लिए यह मानसिक संतोष और आस्था का जरिया बन सकता है। जैसे कि मां अपने बेटे के लिए व्रत रखती है तो उसकी तबियत में सुधार हो सकता है, लेकिन इससे मृत्यु की निश्चितता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

करवा चौथ का वास्तविक उद्देश्य

करवा चौथ का वास्तविक उद्देश्य पति की लंबी आयु से कहीं ज्यादा वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और भरोसा बढ़ाना है। यह पर्व परिवार, समाज और संस्कृति के साथ भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है। महाराज ने कहा कि महिलाओं के लिए यह व्रत एक प्रकार का ध्यान और मानसिक अनुशासन भी है।

इस पर्व में महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए उपवास रखती हैं। इसके माध्यम से वे अपने वैवाहिक जीवन को मजबूत करने, घर में सुख-शांति बनाए रखने और अपने रिश्ते में विश्वास बढ़ाने की भावना रखते हैं। यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत भारतीय समाज में इतनी मान्यता रखता है।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

प्रेमानंद महाराज का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि व्रत किसी भी व्यक्ति की मृत्यु या उम्र को नियंत्रित नहीं कर सकता। महाराज ने वीडियो में आस्था और परंपरा के महत्व पर जोर दिया और बताया कि लोक मान्यताओं को समझते हुए इसे केवल भावनात्मक और मानसिक लाभ के लिए अपनाया जाना चाहिए।

वीडियो में उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मां-बाप के लिए, बेटियों और बेटों के लिए व्रत रखना उनके लिए सुरक्षा और देखभाल की भावना पैदा करता है। व्रत करने से परिवार में मानसिक और भावनात्मक स्थिरता बढ़ती है।

धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

करवा चौथ व्रत जैसे अनुष्ठान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यह केवल व्यक्तिगत आस्था और परंपरा का हिस्सा हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी व्रत या पूजा से जीवनकाल में बढ़ोतरी या मृत्यु को टालने का कोई प्रमाण नहीं है।

प्रेमानंद महाराज ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि व्रत और अनुष्ठान के जरिए केवल मानसिक शांति और जीवन में अनुशासन आता है। महिलाएं इसे एक सामाजिक और भावनात्मक अभ्यास के रूप में मान सकती हैं।

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