नेताओं की हेट स्पीच

कहां नेहरूजी, अटलजी और कहां आज के राजनेताओं की भाषा

नेताओं की भाषा कैसी हो? सुप्रीम कोर्ट भी हतप्रभ है

लेकिन इन नेताओं को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। कोर्ट ने पंडित नेहरू और अटलजी के भाषणों का उदाहरण भी दिया। कहा- एक वे नेता थे जिनके भाषण सुनने लोग दूर- दूर से आते थे। विपक्षी नेता भी चुपके से सभाओं में उन्हें सुनने आया करते थे और दूसरी तरफ़ आज के नेता हैं।

इनकी हेट स्पीच ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।

कोर्ट का कहना है कि राजनीति से धर्म को अलग कर दिया जाए तो इस तरह की हेट स्पीच अपने आप ख़त्म हो जाएँगी।

हमारे शास्त्रों में तो इस धर्म यानी रिलीजन के भी विस्तृत, लेकिन बहुत ही सरल- सहज मायने हैं।

धार्यते इति धर्म:। मतलब जो धारण किया जा सके, वही धर्म है। फिर हमारे नेता क्यों लड़ते - फिरते हैं? मैं मुसलमान, तू हिन्दू। वो ईसाई, वो सिख और जाने क्या- क्या?

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