विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ दर्शकों के दिलों को छू रही है। जानिए कैसी है कहानी, एक्टिंग और म्यूजिक—इस रूमानी सफर की झलक 6 स्लाइड्स में!
एक दृष्टिहीन म्यूज़िशियन और थिएटर आर्टिस्ट की ट्रेन में मुलाकात से जन्म लेती है एक खामोश लेकिन गहरी प्रेम कहानी।
विक्रांत ने दृष्टिहीन किरदार को इतनी बारीकी से निभाया कि हर सीन में उनका इमोशनल कनेक्शन महसूस होता है।
पहली फिल्म में शनाया की फ्रेशनेस और साइलेंट एक्सप्रेशन खूब जमे। डायलॉग डिलीवरी में थोड़ी गुंजाइश बाकी जरूर दिखी।
संतोष सिंह का निर्देशन कमाल का है। सीमित लोकेशन में भी इमोशन्स को खूबसूरती से कैमरे में कैद किया गया है।
विशाल मिश्रा का म्यूजिक और जुबिन नौटियाल की आवाज़ फिल्म की आत्मा बन गई। गाने कहानी के साथ घुल-मिल जाते हैं।
यह फिल्म दिखाती है कि प्यार ना शब्दों का मोहताज होता है, ना शोर का। ये बस एक एहसास है जो दिल से महसूस होता है।