डिनर पर हुई बातचीत ने बदल दी थी शम्मी कपूर की जिंदगी और 'तुमसा नहीं देखा' से शुरू हुआ उनका स्टारडम।
शम्मी कपूर ने जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम किया और पहली सैलरी सिर्फ 50 रुपये थी।
1953 में 'जीवन ज्योति' से शुरुआत के बाद 18 फिल्मों की असफलता ने उन्हें निराश कर दिया।
1957 में 'तुमसा नहीं देखा' के लिए शम्मी कपूर ने निर्देशक नासिर हुसैन को डिनर पर मनाया और लीड रोल पाकर स्टार बन गए।
'दिल देके देखो', 'जंगली', 'प्रोफेसर' और 'कश्मीर की कली' जैसी फिल्मों ने उन्हें 60 के दशक का स्टाइलिश हीरो बनाया।
1955 में शम्मी कपूर ने गीता बाली से शादी की। शादी के लिए उन्होंने फिल्मी अंदाज में जॉनी वॉकर की मदद ली।
शम्मी कपूर की आखिरी फिल्म 'रॉकस्टार' थी। 14 अगस्त 2011 को किडनी फेल होने से उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी जिंदादिली आज भी याद की जाती है।