क्या केवल पूजा-पाठ ही धर्म है? भक्ति का असली अर्थ क्या है? जानिए कैसे ईश्वर भक्ति और धर्म जीवन को सफल और संतुलित बनाते हैं।
भक्ति सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा से ईश्वर की ओर जाने वाला मार्ग है।
भक्ति संयम, त्याग और विश्वास से जुड़ी एक आंतरिक साधना है, जो मन को संसारिक मोह से हटा देती है।
भक्ति जाति, वर्ग या स्थिति से परे सभी के लिए समान रूप से सुलभ है।
लोभ, मोह और अहंकार से मुक्त होकर ही व्यक्ति सच्ची भक्ति में स्थिर हो सकता है।
बिना ईश्वर में अटूट विश्वास के भक्ति का कोई अर्थ नहीं।
भक्ति केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाली शक्ति है।