भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है भगवान गणेश का जन्मोत्सव – शुरुआत होती है भक्ति और उल्लास के साथ
शिव-पार्वती पुत्र गणेश को मिला ‘प्रथम पूज्य’ होने का वर – जानते हैं उनकी जन्म कथा
तिलक जी ने घरों से निकालकर पंडालों में मनाई चतुर्थी, इसे बनाया सांस्कृतिक आंदोलन
कलश स्थापना, मोदक भोग, आरती, दूर्वा, फूलों से सजावट – हर रस्म में है गहराई
समाज की एकता और सहयोग का प्रतीक – विशाल मूर्तियाँ, भजन, नाटक और सामूहिक भक्ति।
नारियल-गुड़ से भरे मोदक बाप्पा को बहुत प्रिय हैं – कहते हैं, मनोकामना पूर्ण होती है।